अमेरिकी स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट देखी जा रही है जिससे वैश्विक बाजारों में हलचल मची हुई है। वॉल स्ट्रीट के प्रमुख इंडेक्स में जबरदस्त गिरावट आई है, जहां S&P 500 में 2.2% की गिरावट दर्ज की गई, डॉव जोन्स 500 से अधिक अंकों से नीचे चला गया और नैसडैक 3.6% तक गिर गया, जो हाल के हफ्तों में सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। आइए देखें की इसका भारी असर भारतीय शेयर बाज़ार पर कैसे पड़ा है।
Open Free Demat Account TodayAlso read this: Stock Advice: भारी बिकवाली में खरीद लो फिर मौका नहीं मिलेगा!
टेक्नोलॉजी शेयर लंबे समय से वॉल स्ट्रीट की रैली की रीढ़ रहे हैं, पर अब इनमें भी जबरदस्त बिकवाली का दबाव देखने को मिला, जिसमें Microsoft, Nvidia, Tesla, Meta और Alphabet जैसे दिग्गज शेयर 4% से 11% तक गिर गए, जिससे अरबों डॉलर का बाज़ार पूंजीकरण साफ हो गया। निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है क्यूँकी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ रही है।
पहले से ही मुद्रास्फीति, ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चिंताओं के कारण बाज़ार दबाव में था, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित पारस्परिक शुल्क को लेकर नए अनिश्चितता के कारण निवेशकों में घबराहट और बढ़ गई है। बाज़ार विश्लेषकों का मानना है की व्यापार विवाद बढ़ने की संभावना के कारण निवेशकों में घबराहट और बढ़ गई है। बाज़ार विश्लेषकों का मानना है की व्यापार विवाद बढ़ने की संभावना के कारण निवेशक कॉर्पोरेट कमाई और वैश्विक आर्थिक विकास को लेकर चिंतित हो रहे हैं।
अब सवाल उठता है की इस उथल-पुथल का असर भारतीय बाजारों पर कितना होगा? क्या सेंसेक्स और निफ्टी पर भी इस बिकवाली का दबाव आएगा? इस बात में कोई संदेह नहीं की यह संकट सिर्फ वॉल स्ट्रीट तक सीमित नहीं रहेगा। यूरोपीय बाजारों में पहले ही गिरावट देखी गई है और एशियाई बाज़ार भी इससे अछूते नहीं रहेंगे। ऐसे में दलाल स्ट्रीट पर भी दबाव देखने को मिल सकता है, खासतौर पर IT शेयरों पर, क्यूँकी ये कंपनियां अमेरिकी बाज़ार पर बहुत अधिक निर्भर हैं। भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बड़ी भूमिका है और सबकी नजर इस पर होगी की वे आगे क्या कदम उठाते हैं। अगर वे भारतीय बाज़ार से बड़ी मात्रा में पैसे निकालना जारी रखते हैं, तो आने वाले दिनों में बाज़ार में भारी अस्थिरता देखी जा सकती है।
सोमवार को भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत सकारात्मक रही थी, लेकिन दिन के अंत में कमजोरी के साथ बंद हुआ। निफ्टी 50 में 0.41% की गिरावट आई और यह 22,460.30 पर बंद हुआ, वहीं सेंसेक्स भी लाल निशान में चला गया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, जहां इनमें 1.8% से 2.4% तक की गिरावट दर्ज की गई।
बाज़ार के विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी अपने 20-दिवसीय एक्सपोनेनशीयल मूविंग एवरेज (EMA) के पास रुक गया, जो एक मजबूत प्रतिरोध स्तर था, और वहाँ से मुनाफावसूली शुरू हो गई। कोई भी स्थायी रिकवरी तभी संभव है जब कोई नया सकारात्मक कारक बाज़ार में प्रवेश करे, लेकिन बैंकिंग इंडेक्स के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए निवेशकों के लिए अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं। तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, निफ्टी के 22,700 से ऊपर टिके रहने में विफल रहने और 22,500 से नीचे बंद होने से यह संकेत मिल रहा है की यह जल्द ही 22,250-22,370 के स्तर तक जा सकता है। बैंक निफ्टी भी दबाव में रहा और इसका तत्काल समर्थन 48,000 के स्तर पर देखा जा रहा है।
विश्लेषकों का मानना है की वैश्विक स्तर पर नकारात्मक कारक बाज़ार की धारणा को प्रभावित कर रहे हैं, जिसमें अमेरिका में बेरोजगारी दर में बढ़ोत्तरी और नए शुल्क संबंधी चिंताएँ शामिल हैं। हालांकि, भारत की मौलिक आर्थिक स्थिति लंबी अवधि के निवेशकों के लिए अनुकूल बनी हुई है, लेकिन निकट भविष्य में बाज़ार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है। घरेलू निवेशकों की नजर इस सप्ताह अमेरिका और भारत के मुद्रास्फीति आंकड़ों पर रहेगी, क्यूँकी इनसे अगले कुछ दिनों के बाज़ार रुख को समझने में मदद मिलेगी। बाज़ार विश्लेषकों का कहना है की इस हफ्ते आने वाले आर्थिक संकेतकों पर सभी की नजरें होंगी, जिनमें अमेरिका और भारत के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आँकड़े भी शामिल हैं।
अगर इनमें कुछ राहत मिलती है, तो बाज़ार की अस्थिरता कम हो सकती है। निवेशकों को गिरावट में अच्छे स्टॉक्स जमा करने का मौका मिल सकता है, लेकिन यह बेहद सतर्कता से किया जाना चाहिए। जब तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता, बाज़ार में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है। लंबी अवधि के निवेशकों को यह मौका निवेश के रूप में दिख सकता है, लेकिन अल्पकालिक ट्रेडर्स के लिए सतर्कता ही सबसे बेहतर रणनीति होगी।