पिछले छह महीनों में शेयर बाज़ार में भारी गिरावट देखी गई है, जिससे निवेशकों की उम्मीदें भी काफी कमजोर पड़ी हैं। सितंबर 2024 से लेकर अब तक Nifty 50 ने डॉलर टर्म्स में 16% की गिरावट दर्ज की है जबकि स्मॉलकैप स्टॉक्स 23% और मिडकैप स्टॉक्स 21% तक टूट चुके हैं। इस गिरावट के बाद, जापानी ब्रोकरेज फर्म Nomura ने 2025 के अंत तक Nifty 50 के लिए एक विशेष टिप्पणी की है। आइए देखें की उनका शेयर बाज़ार की इस गिरावट पर क्या अनुमान है।
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Nomura के अनुसार Nifty 50
जापानी ब्रोकरेज फर्म Nomura ने 2025 के अंत तक Nifty 50 के लिए केवल 4% की सीमित बढ़त का अनुमान लगाया है। इस फर्म के अनुसार, साल भर में निफ्टी 21,800 से 25,700 के दायरे में ट्रेड कर सकता है। इसका मतलब यह है की निचले स्तर से 5% की और गिरावट हो सकती है, जबकि ऊपरी स्तर पर 12% तक की बढ़त संभव है।
Nomura के अनुसार गिरावट के कारण
Nomura ने बाज़ार में हालिया गिरावट के लिए कई बड़े कारणों की बात कही है। इन सबमें सबसे प्रमुख कारण मार्केट फैटिग (थकान) है, जो पिछले कुछ वर्षों में आई मजबूत रैली के बाद देखा गया है। 2021 से 2024 के बीच, भारतीय बाज़ार ने शानदार रिटर्न दिए थे जिससे निवेशकों की उम्मीदें बहुत ज्यादा बढ़ गई थीं। लेकिन जब वास्तविक नतीजे अपेक्षाओं से कमजोर निकले तो निवेशकों ने मुनाफावसूली शुरू कर दी, जिससे बाज़ार में भारी गिरावट आई।
विशेष रूप से स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में तेज बिकवाली देखी गई, क्यूँकी ये स्टॉक्स आमतौर पर अधिक जोखिमपूर्ण होते हैं और मंदी के दौर में ज़्यादा प्रभावित होते हैं।
निवेशकों के लिए विशेष सलाह
Nomura ने निवेशकों को सलाह दी है की वे महंगे मूल्यांकन वाले स्टॉक्स से बचें और केवल वास्तविक रूप से मजबूत कंपनियों में ही निवेश करें। Nomura कहता है की कई स्टॉक्स अभी भी ऊंचे वैल्यूएशन पर ट्रेड कर रहे हैं, और यदि बाज़ार में और गिरावट आती है तो ये स्टॉक्स भारी नुकसान झेल सकते हैं। इसीलिए, निवेशकों को सावधानीपूर्वक स्टॉक चयन करना चाहिए और लॉंग-टर्म ग्रोथ पर ध्यान देना चाहिए।
निफ्टी-50 का संभावित वैल्यूएशन
Nomura के अनुसार Nifty 50 का वैल्यूएशन 2026 के लिए अनुमानित अग्रिम आय (Forward Earnings) के आधार पर 17 से 20 गुना हो सकता है। इसका मतलब यह है की अगर कॉर्पोरेट आय में कोई बड़ी उछाल नहीं आती तो बाज़ार में बहुत अधिक बढ़त की संभावना कम है। इसीलिए, अगले एक साल में बाज़ार में सीमित तेजी और अस्थिरता का माहोल बना रह सकता है।
बाज़ार में आगे की प्रक्रिया
बाज़ार विश्लेषकों का मानना है की अगले कुछ महीनों में भारतीय शेयर बाज़ार तीन मुख्य कारकों पर निर्भर करेगा, जो की कुछ इस प्रकार हैं:
1-वैश्विक बाज़ार और ब्याज दरों का असर: फेडरल रिजर्व और अन्य केन्द्रीय बैंकों की ब्याज दर नीतियाँ बाज़ार पर बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं। यदि ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं, तो इकविटी मार्केट पर दबाव बना रहेगा, क्यूँकी महंगी पूंजी कंपनियों की आय वृद्धि को प्रभावित कर सकती है।
2-भारतीय कॉर्पोरेट आय का प्रदर्शन: भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बाज़ार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यदि कंपनियों की आय उम्मीद से बेहतर रहती है तो निफ्टी में तेजी देखने को मिल सकती है। लेकिन अगर नतीजे कमजोर आते हैं तो बाजार में और गिरावट हो सकती है।
3-निवेशकों की धारणा और लिक्व्डीटी: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) की भागीदारी भी बाज़ार को प्रभावित कर सकती है। यदि विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार में पैसा लगाते हैं तो बाज़ार को समर्थन मिलेगा, लेकिन यदि वे बिकवाली जारी रखते हैं तो बाज़ार में गिरावट बनी रह सकती है।
निवेशकों के लिए मज़बूत रणनीति
निवेशकों को ऐसे समय में इन रणनीतियों को अपनाना चाहिए:
1-महंगे स्टॉक्स से बचें: Nomura ने स्पष्ट रूप से कहा है की निवेशकों को बहुत ऊंचे वैल्यूएशन वाले स्टॉक्स से दूर रहना चाहिए। ऐसे स्टॉक्स जिनका P/E Ratio अधिक है और जिनकी वास्तविक आय वृद्धि कम है, वे सबसे ज्यादा जोखिम में हो सकते हैं।
2-उच्च गुणवता वाले स्टॉक्स में निवेश करें: कमजोर बाज़ार स्थितियों में मजबूत बैलेंस शीट और स्थिर आय वृद्धि वाली कंपनियां बेहतर प्रदर्शन करती हैं। इसीलिए, निवेशकों को ब्लू-चिप कंपनियों पर ध्यान देना चाहिए औसे ऐसे सेक्टरों में निवेश करना चाहिए, जो लॉंग टर्म में स्थिर विकास दिखा सकते हैं।
3-गिरावट पर खरीदारी करें: Nomura का मानना है की निफ्टी 21,800 के स्तर तक गिर सकता है। यदि बाज़ार इस स्तर के करीब पहुंचता है तो यह दीर्घकालिक निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा अवसर हो सकता है।
4-पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखें: मौजूदा अस्थिरता को देखते हुए, निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में बैंकिंग, IT, हेल्थकेयर और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे विभिन्न सेक्टरों के स्टॉक्स को शामिल करना चाहिए। इससे जोखिम कम होगा और निवेश संतुलित बना रहेगा।
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निष्कर्ष
Nomura का अनुमान है की 2025 के अंत तक Nifty 50 केवल 4% की बढ़त दर्ज कर सकता है। हालांकि, बाज़ार में 12% तक की संभावित तेजी भी हो सकती है, लेकिन इसके लिए कॉर्पोरेट आय में सुधार और वैश्विक बाजारों में स्थिरता जरूरी होगी। इसीलिए, निवेशकों को सावधानीपूर्वक स्टॉक चयन करने, महंगे स्टॉक्स से बचने और दीर्घकालिक अवसरों पर ध्यान देने की सलाह दी गई है। आने वाले महीनों में बाज़ार की दिशा काफी हद तक वैश्विक संकेतकों, कॉर्पोरेट आय और ब्याज दरों की नीतियों पर निर्भर करेगी। इसीलिए, निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और किसी भी निवेश से पहले अच्छी तरह से रिसर्च करनी चाहिए।
डिसक्लेमर
इस लेख से हमारा उद्देश्य केवल Nifty 50 को लेकर Nomura की विशेष टिप्पणी की जानकारी आप तक पहुंचाना है।