अक्सर अपनी वयस्थ ज़िंदगी में स्टॉक्स हमारे लिए एक भार साबित होते हैं लेकिन पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है यह यह जानने के बाद आपको स्टॉक्स एंव शेयर बाज़ार बिना किसी भार के समझ भी आएगा और उसमें निवेश करना आपके लिए एक खुशी का भाव जागृत करेगा। इस लेख में हम आपको बताएंगे की पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है? जिससे Positional Trading meaning in Hindi आपको सरल भाषा में विस्तार पूर्वक समझ आजाए।
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है? उदाहरण के साथ
पोजीशनल ट्रेडिंग शेयर बाज़ार में निवेश या ट्रेडिंग की एक रणनीति है, जिसमें निवेशक लंबी अवधि के लिए स्टॉक्स, इटीएफ, या किसी अन्य असेट को होल्ड करते हैं। यह कुछ दिनों से लेकर कई महीनों या वर्षों तक हो सकता है। इस रणनीति का उद्देश्य बड़ी और स्थिर मूवमेंट से लाभ कमाना होता है, ना की दैनिक उतार चढ़ाव से। पोजीशनल ट्रेडर्स मुख्य रूप से कंपनी की फंडामेंटल एनालिसिस और मार्केट ट्रेंड्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि वे सही समय पर स्टॉक्स खरीद और बेच सकें। इसका फायदा यह है की इसमें दिन प्रतिदिन के ट्रेडिंग स्ट्रेस और अत्यधिक समय की आवश्यकता नहीं होती।
उदाहरण के साथ समझो की पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है:
मान लीजिए, एक निवेशक को भरोसा है की रिलाइन्स इंडस्ट्री आने वाले समय में ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में अच्छी प्रगति करेगी। उसने अप्रैल 2024 में रिलाइन्स का एक शेयर 2200 रुपए में खरीदा। अब वह दैनिक मार्केट मूवमेंट्स को नजरंदाज करते हुए 6-12 महीनों तक इस शेयर को होल्ड करता है। दिसंबर 2024 में जब शेयर का मूलय 2700 रुपए तक पहुंच जाता है, तब निवेशक इसे बेच देता है। इस प्रक्रिया में उसने हर दिन मार्केट पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन कंपनी के लॉंग टर्म ग्रोथ पोटेनशीयल के आधार पर अच्छा मुनाफा कमाया। आशा है की इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे की पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है।
Open Free Demat Account Todayपोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें? इसमें स्टॉक्स कैसे चुनें?
अब क्यूँकी हमने ये तो समझ लिया की पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है, तो अब बारी है समझने की, की पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें। पोजीशनल ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको बाज़ार की अच्छी समझ होनी चाहिए। इसमें लंबी अवधि के मार्केट ट्रेंड्स और कंपनी के फंडामेंटल पर ध्यान देना जरूरी है। ट्रेडिंग से पहले मार्केट की रिसर्च करें और यह समझने का प्रयास करें की कौन से सेक्टर्स या कंपनियां भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं। क्यूँकी आपको अपनी पोजीशन को हफ्तों, महीनों या सालों तक होल्ड करना होता है इसीलिए पोजीशनल ट्रेडिंग में आपको सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट तय करने की जरूरत होती है। जब आप किसी स्टॉक की खरीदारी करते हैं तो यह तय करें की आप कितने समय के लिए इसे होल्ड करेंगे और किस प्राइस पर बेचेंगे। एक बार जब आप पोजीशन ले लें तो हर दिन बाज़ार के उतार चढ़ाव पर प्रतिक्रिया न दें। अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्यों पर केंद्रित रहें।
स्टॉक्स कैसे चुनें?
पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें यह समझने के लिए समझना जरूरी है की इसमें स्टॉक्स का चयन किस तरह होना चाहिए? तो स्टॉक्स का चयन करते समय कंपनी की फंडामेंटल एनालिसी सबसे जरूरी होती है। आप उस कंपनी का चुनाव करें जिसका बिजनेस मोडेल मजबूत हो और जिसका भविष्य में ग्रोथ पोटेनशीयल अधिक हो। कंपनी के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स, जैसे: प्रॉफ़िट, रेवेन्यू और डेट-टू-एक्विटी रेशिओ पर ध्यान दें। इसके अलावा उद्योग सेक्टर का ट्रेंड समझना भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन सेक्टर्स पर ध्यान दें जिनमें विकास की संभावनाएं हैं। उदाहरण के लिए यदि ग्रीन एनर्जी का भविष्य उज्ज्वल दिखता है तो उस क्षेत्र से संबंधित कंपनियों पर ध्यान दें। टेक्निकल एनालिसिस भी सहायक हो सकता है जिसमें पिछले प्राइस ट्रेंड्स के आधार पर संभावित भविष्य के मूवमेंट्स को देखा जाता है।
अवधि की स्थिरता और संभावनाओं का आँकलं करने के बाद ही पोजीशन बनाएं। यह सुनिश्चित करें की आपके द्वारा चुने गए स्टॉक्स में अच्छा लिक्विडिटी लेवल हो ताकि जरूरत पड़ने पर आप आसानी से अपनी पोजीशन एग्जिट कर सकें।
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पोजीशनल ट्रेडिंग किसे करनी चाहिए?
जब हमने विस्तार से देख लिया की पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है और पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें, तो अब बारी है देखने की, की किसे करनी चाहिए?
- पोजीशनल ट्रेडिंग उन निवेशकों या ट्रेडर्स के लिए उपयुक्त है जो लंबी अवधि में स्थिर और अच्छे रिटर्न की तलाश में हैं और जिनके पास बाज़ार के उतार चढ़ाव का सामना करने का धैर्य है। यह उन लोगों के लिए सही है जो हर दिन मार्केट मॉनिटर करने का समय या इच्छा नहीं रखते, लेकिन स्टॉक्स या अन्य असेट्स में निवेश करना चाहते हैं।
- इस रणनीति को अपनाने वालों के पास मूलभूत और तकनीकी ज्ञान होना चाहिए ताकि वे स्टॉक्स का सही चयन कर सकें और उनकी लॉंग टर्म संभावनाओं का आकलन कर सकें। पोजीशनल ट्रेडिंग उनके लिए फायदेमंद होती है जिन्हें सट्टा या डे-ट्रेडिंग से जुड़ा तनाव और जोखिम पसंद है।
- इसके अलावा ये उन लोगों के लिए भी एक बेहतर विकल्प है जिनके पास दूसरी व्यस्तताऐं जैसे नौकरी या पढ़ाई होती है। पोजीशनल ट्रेडिंग से उन्हें केवल चुनिंदा समय पर स्टॉक की परफ़ोर्मेंस का मूल्यांकन करना पड़ता है। यह उनके लिए आदर्श है जो धैर्यपूर्वक इनवेस्टमेंट की कला सीखना चाहते हैं और दीर्घकालीन वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग के संकेतक: Positional Trading meaning in Hindi
पोजीशनल ट्रेडिंग के कई मुख्य संकेतक हैं, जैसे:
मूविंग एवरेज (Moving Avarage): यह स्टॉक की औसत कीमत को दर्शाता है और यह समझने में मदद करता है की स्टॉक किस दिशा में जा रहा है। 20 दिन, 50 दिन, या 200 दिन की मूविंग एवरेज आमतौर पर इस्तेमाल की जाती है।
रिलेटिव स्ट्रेनथ इंडेक्स (RSI): RSI यह बताता है की कोई स्टॉक ओवरबॉट (बहुत खरीदा गया) है, या ओवर्सोल्ड (बहुत बेचा गया) है। अगर RSI 70 से ऊपर है तो स्टॉक ओवरबॉट है और अगर यह 30 से नीचे है तो स्टॉक ओवर्सोल्ड है।
वॉल्यूम इन्डिकेटर (Volume Indicator): यह स्टॉक के लिए खरीदारी और बिक्री के दबाव को मापता है। उच्च वॉल्यूम बताता है की स्टॉक में अधिक सक्रीयता है और इसके मूवमेंट पर भरोसा किया जा सकता है।
सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल (Support and Resistance): ये स्तर यह दिखाता है की स्टॉक की कीमत कहाँ गिर सकती है (सपोर्ट) और कहाँ रुक सकती है या ऊपर जा सकती है (रेसिस्टेंस)।
फंडामेंटल एनलिसिस (Fundamental Analysis): पोजीशनल ट्रेडिंग में कंपनी की बेलेन्स शीट, आय रिपोर्ट और बाज़ार में उसकी स्थिति को भी देखा जाता है। यह संकेतक निवेश के लिए दीर्घकालीन दृष्टिकोण प्रदान करता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे: Positional Trading meaning in Hindi
पोजीशनल ट्रेडिंग के फायदे कुछ इस प्रकार हैं:
- तनाव और समय की कमी: पोजीशनल ट्रेडिंग में दिन प्रतिदिन के बाज़ार के उतार चढ़ाव पर नजर रखने की आवश्यकता नहीं होती। यह उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प है जो अपनी दैनिक जिम्मेदारियों जैसे नौकरी पढ़ाई या व्यवसाय के चलते बाज़ार पर कम ध्यान दे सकते हैं।
- उच्च संभावित रिटर्न: यह रणनीति लंबी अवधि में बाज़ार के बड़े और स्थिर ट्रेंड्स पर ध्यान केंद्रित करती है। ऐसे ट्रेंड्स में शामिल होने से निवेशक छोटे-मोटे उतार चढ़ाव के बावजूद बड़े लाभ कमा सकते हैं।
- कम ट्रेडिंग लागत: पोजीशनल ट्रेडिंग की एक सबसे खास बात ये है की इसमें बार-बार खरीद बिक्री की जरूरत नहीं होती, जिससे ब्रोकर फीस और अन्य लेन-दें खर्च कम हो जाते हैं। यह आपके कुल मुनाफे को बढ़ाने में मदद करता है।
- धैर्य और स्थिरता विकसित करना: पोजीशनल ट्रेडिंग निवेशकों को धैर्य रखने और बाज़ार में दीर्घकालिक सोच विकसित करने में मदद करती है। यह ट्रेडिंग का एक स्थिर और कम जोखिमपूर्ण तरीका है क्यूँकी इसमें दिन प्रतिदिन की अस्थिरता पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती।
- लॉंग टर्म ट्रेंड्स से फायदा: पोजीशनल ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा यह है की यह बाज़ार की लॉंग टर्म ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनने का मौका देता है। निवेशक स्थिर और बढ़ने वाले स्टॉक्स में निवेश करके मजबूत और स्थायी रिटर्न पा सकते हैं।
पोजीशनल ट्रेडिंग के नुकसान: Positional Trading meaning in Hindi
- लंबी अवधि तक पोजीशन बनाए रखना: कभी कभी स्टॉक की कीमत लंबे समय तक उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ती। निवेशक को कुछ समय तक अपना पैसा ब्लॉक रखना पड़ता है, जबकी मार्केट में अन्य मौके हो सकते हैं। यह तब हो सकता है जब किसी स्टॉक की ग्रोथ धीमी हो या वह अस्थिर हो।
- कम लचीलापन: पोजीशन ट्रेडिंग में निवेशक लंबे समय के लिए पोजीशन में बंधे रहते हैं। इसका मतलब है की वे तात्कालिक मौके से लाभ उठाने के लिए जल्दी निर्णय नहीं ले पाते। यदि स्टॉक पर कुछ अच्छा या बुरा होता है तो निवेशक समय पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाते।
- उच्च अवसर लागत: जब आप स्टॉक को लंबी अवधि के लिए होल्ड करते हैं तो इसका मतलब है की आपका पूंजी अन्य उच्च विकास वाले स्टॉक्स में निवेश करने के बजाय स्थिर रह सकता है। इस तरह की अवसर लागत से संभावित रिटर्न सीमित हो जाता है।
- वित्तीय संकट या अस्थिरता का खतरा: अगर बाज़ार में अचानक कोई बड़ी गिरावट आती है तो पोजीशन ट्रेडिंग को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। यहाँ तक की कोई मजबूत कंपनी भी संकट के समय गंभीर नुकसान में जा सकती है और निवेशक इसे कुछ समय तक सहन करना पड़ता है।
पोजीशनल ट्रेडिंग की रणनीतियाँ: Positional Trading meaning in Hindi
पोजीशनल ट्रेडिंग की रणनीतियाँ कुछ इस प्रकार हैं:
प्रवृत्ति अनुसरण (Trend Following Strategy): इस रणनीति में आप बाजार के मौजूद ट्रेंड को फॉलो करते हैं। यदि स्टॉक ऊपर की ओर बढ़ रहा है तो आप उसे खरीदते हैं और जब वह नीचे जाने लगे तो उसे बेच देते हैं। यह रणनीति सरल है और सबसे अधिक उपयोग की जाती है।
विपरीत निवेश (Contrarian Investing): इस रणनीति में समय की सामान्य भावना के विपरीत काम किया जाता है। विपरीत निवेशक बाज़ार में प्रवेश करते हैं, जब बाकी सभी नकारात्मक नजरिया रखते हैं और बाजार से बाहर निकलते हैं।
ब्रेकआउट रणनीति (Breakout Strategy): इस रणनीति में आप उस समय ट्रेड करते हैं जब स्टॉक सपोर्ट या रेसिस्टेंस लेवल को पार करता है। यदि प्राइस रेसिस्टेंस लेवल को तोड़ता है तो आप खरीदारी करते हैं और अगर प्राइस सपोर्ट लेवल से नीचे गिरता है तो आप बेचते हैं।
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पोजीशनल ट्रेडिंग बनाम स्विंग ट्रेडिंग
आज इस लेख में हम आपको ये भी बताएंगे की आखिर पोजीशनल ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में काउंसे मुख्य अंतर हैं:
पैरामीटर | पोजीशनल ट्रेडिंग | स्विंग ट्रेडिंग |
निर्धारित समय सीमा | दीर्घावधि (महीने से वर्ष) | अल्पावधि (दिन से सप्ताह) |
विश्लेषण प्रकार | मौलिक एंव तकनीकी | मुख्यतः तकनीकी |
जोखिम का स्तर | मध्यम से उच्च | मध्यम |
लाभ की संभावना | उच्च, पर यदि कीमत अपेक्षित स्तर तक पहुँच जाती है तो | कम अवधि में होने वाले मूल्य उतार चढ़ाव के आधार पर कम |
समय प्रतिबद्धता | कम | उच्च |
इंतजार की अवधि | आमतौर पर लंबा समय | कम समय |
व्यापार आवृत्ती | लंबी होल्डिंग अवधि के कारण कम ट्रेड | अधिक लगातार व्यापार |
बाज़ार उपनति | लंबे समय में होने वाले मूल्य उतार चढ़ाव का लाभ उठाता है | कम समय में होने वाले मूल्य उतार चढ़ाव का लाभ उठाता है |
भावनात्मक प्रभाव | भावनाओं में अस्थिरता की संभावना कम होती है | भावनाओं में रोजाना की मार्केट की वजह से अस्थिरता जादा हो सकती है |
पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें ये समझाने के लिए हम लाएँ हैं: महत्वपूर्ण टिप्स
हमारे सुझाव में अपने निवेश को लाभदायी बनाने के लिए ये महत्वपूर्ण टिप्स आपको आज़मानी चाहियें:
- हमेशा मौलिक विश्लेषण करें
- किसी भी स्थिति में धैर्य बनाएं रखें
- स्टॉप-लॉस का इस्तेमाल करें
- बाज़ार की दिशा की सही पहचान करें
- समय पर रिव्यू करें
- अपनी भावनाओं पर काबू रखें
- सही स्टॉक्स का चयन करें
निष्कर्ष:
पोजीशनल ट्रेडिंग में सही समय पर मौलिक विश्लेषण और लगातार अभ्यास से आप इसमें सफलता पा सकते हैं। ध्यान रखें की इसमें धैर्य और सीखने की इच्छा ही आपको एक सफल ट्रेडर बना सकती है। आपको Positional Trading meaning in Hindi के इस लेख में हमने हर छोटी-छोटी चीज़ की जानकारी दी, जैसे: पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है, पोजीशनल ट्रेडिंग कैसे करें, आदि। आशा है की आपको ये लेख पसंद आया होगा।
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सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्न:
पोजीशनल ट्रेडिंग क्या है और यह शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग से कैसे अलग है?
पोजीशनल ट्रेडिंग में स्टॉक्स को लंबी अवधि के लिए होल्ड किया जाता है जबकि शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में तेजी से लाभ कमाने के लिए स्टॉक्स को जल्दी बेचा जाता है।
क्या पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए किसी विशेष स्टॉक्स का चयन किया जाता है?
पोजीशनल ट्रेडिंग के लिए उन स्टॉक्स का चयन करना चाहिए जिनमें स्थिरता, मजबूत मौलिक विश्लेषण और विकास की संभावना हो, साथ ही बाज़ार में एक अच्छी लंबी अवधि की प्रवृत्ति दिख रही हो।
पोजीशनल ट्रेडिंग में कितने समय तक स्टॉक्स होल्ड किए जाते हैं?
पोजीशनल ट्रेडिंग में स्टॉक्स को कुछ हफ्तों या महीनों तक होल्ड किया जाता है।
क्या पोजेशनल ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करना जरूरी है?
हाँ, स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकि संभावित नुकसान को सीमित किया जा सके, खासकर जब बाज़ार की दिशा आपके अनुमान से विपरीत हो।
पोजीशनल ट्रेडिंग में सफलता के लिए किन रणनीतियों का पालन किया जाना चाहिए?
प्रवृत्ति अनुसरण, विपरीत निवेश और ब्रेकआउट रणनीति का पालन पोजीशनल ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए करना चाहिए।
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