इन स्विस निवेशक और दुनिया के प्रसिद्ध मार्केट कंपेटेटर ने भारतीय रिटेल निवेशकों को ऐसी बड़ी चेतावनी दी है जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। उनका कहना है की भारतीय रिटेल निवेशकों को जल्द से जल्द अपने शेयर बेचकर शेयर बाज़ार से निकल जाना चाहिए। उन्होंने कहा की अगर मार्केट में कोई रिबाउन्ड देखने को मिलता है, तो यह निवेशकों के लिए आखिरी मौका हो सकता है बाहर निकलने का, क्यूँकी वैश्विक स्तर पर मंदी कई सालों तक बनी रह सकती है।
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जिन दिग्गज निवेशक की हम यहाँ बात कररहे हैं, वो हैं: मार्क फेबर, जिन्हें “डॉक्टर डूम” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया की मुद्रास्फीति निवेशकों को भ्रमित कर सकती है, जिससे उन्हें गलत रिटर्न का आभास होगा, जबकि असल में उनकी संपत्ति की वास्तविक वैल्यू घट रही होगी। मार्क फेबर ने इस बात पर भी जोर दिया की पिछले साल भारतीय और अमेरिकी रिटेल निवेशकों ने बाज़ार की तेजी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन इनमें से कई लोग बिना पूरी जानकारी के ही सट्टा व्यापार में कूद पड़े थे, जिससे अब वे भारी नुकसान झेल रहे हैं।
उन्होंने कहा की अमेरिका में पिछले साल गर्मियों में रिटेल निवेशकों की भागीदारी काफी ज्यादा थी और यही हाल भारत में भी हुआ। कई लोग केवल ट्रेंड देखकर बाजार में घुस गए, लेकिन अब उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। मार्क फेबर की सटीक भविष्यवाणियों का इतिहास भी मजबूत रहा है। 1987 में उन्होंने स्टॉक मार्केट में भारी गिरावट की चेतावनी दी थी, जो सच साबित हुई थी।
1970 के दशक से ही वे मंदी को लेकर अपने पूर्वानुमान पेश कर रहे हैं और इस बार भी वे मानते हैं की वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ार कई सालों तक मंदी में रह सकता है। उन्होंने यह भी कहा की जिन कंपनियों में सट्टेबाजों ने निवेश किया था, उनमें अब भारी गिरावट देखने को मिल रही है। जैसे: टेसला, एनवीडिया और बिटकोइन। टेसला का शेयर पिछले एक महीने में 30% से ज्यादा गिर चुका है, एनवीडिया में 17% की गिरावट आई है और बिटकोइन ने भी 13% तक का नुकसान झेला है।
इससे यह साफ संकेत मिलता है की बाज़ार की स्थिति ठीक नहीं है और आगे और भी मुश्किलें आ सकती हैं। उनका कहना है की यदि बाज़ार में कोई भी उछाल आती है, तो इसे आखरी मौका मानकर रिटेल निवेशकों को अपने निवेश से बाहर निकाल जाना चाहिए नहीं तो आगे उन्हें और भी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है।