भारतीय शेयर बाज़ार में 28 फरवरी 2025 को भारी गिरावट दर्ज की गई (Stock Market Fall), और ये कोई ऐसी वैसी गिरावट नहीं है बल्कि इसका प्रभाव बहुत भारी साबित हुआ है क्यूँकी इसने IT से लेकर बैंकिंग हर सेक्टर पर भारी प्रभाव डाला है। ग्लोबल ट्रेड टेंशन और अमेरिका की कमजोर होती अर्थव्यवस्था के संकेतों के कारण निवेशकों में अधिक घबराहट देखी गई, जिससे निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में बड़ी गिरावट आई। इस गिरावट में आईटी सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान हुआ, जिससे निफ्टी आईटी इंडेक्स 4.5% गिरकर छह महीने के निचले स्तर पर पहुँच गया। आइए देखें की कैसे निवेशक इस स्थिति को सबसे अधिक इस्तेमाल कर सकते हैं।
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कौनसे सेक्टर आए भारी दबाव में?
IT सेक्टर को बड़ा झटका
IT शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, जिसमें निफ्टी IT इंडेक्स 4.5% की गिरावट के साथ 37,198 के स्तर पर आ गया। यह पिछले छह महीनों का सबसे निचला स्तर है और अप्रैल 2023 के बाद की सबसे बड़ी एक-दिन की गिरावट है। IT कंपनियों के सभी प्रमुख शेयर लाल निशान में रहे, जिनमें:
- Tech Mahindra, Infosys और Coforge के शेयरों में 6% तक की गिरावट आई।
- इसके अलावा, Persistent Systems, Wipro, Infosys, TCS, HCL Technologies और LTIMindtree जैसी दिग्गज IT कंपनियों के शेयर 3% से 5% तक लुढ़क गए।
बैंकिंग और टेलिकॉम सेक्टर भी रहे दबाव में
IT सेक्टर के अलावा, बैंकिंग और टेलिकॉम सेक्टर में भी भारी गिरावट देखने को मिली है।
- निफ्टी बैंक इंडेक्स 1.33% गिरकर 48,094 पर पहुँच गया।
- वहीं, BSE टेलिकॉम इंडेक्स में भी 3% की गिरावट दर्ज की गई।
- Railtel, MTNL, Tata Teleservices और HFCL जैसी कंपनियों के शेयरों में 4% से 6% तक की गिरावट देखी गई।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की भारी बिकवाली
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बड़ी बिकवाली देखी गई है, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। BSE मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 2% की गिरावट आई। अनुमान है की इस गिरावट के कारण निवेशकों की संपत्ति में लगभग 18 लाख करोड़ की कमी आई है।
गिरावट के पीछे के कारण
इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताऐं और वैश्विक व्यापार तनाव बताया जा रहा है। अमेरिका से आए नए आर्थिक आंकड़ों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। यूएस लेबर मार्केट से जुड़े आंकड़ों के अनुसार, 22 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में बेरोजगारी भत्ते के दावों की संख्या 22,0000 बढ़कर 2,42,000 हो गई। इसके अलावा, चौथी तिमाही में अमेरिका की जीडीपी ग्रोथ दर 2.3% रही, जो पहली उम्मीदों के अनुरूप थी। हालांकि, महंगाई के बढ़ते संकेतों ने बाजार को हिला कर रख दिया।
डोनाल्ड ट्रम्प का नया टेरिफ़ प्लान
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नए टेरीफ़ प्लान की घोषणा के बाद बाज़ार में और अधिक अस्थिरता देखने को मिली है। उन्होंने घोषणा की है कि 4 मार्च से मैक्सीको और कनाडा पर अतिरिक्त टैरिफ लागू किया जाएगा। इसके अलावा, चीन पर 10% अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात भी कही गई, जिससे अमेरिका-चीन व्यापार तनाव बढ़ सकता है।
ट्रम्प ने यह भी चेतावनी दी की यूरोपीय संघ से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% तक का टैरिफ लगाया जा सकता है। यह खबर निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई, क्यूँकी इससे अंतरराष्ट्रिय व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना बढ़ गई।
फेडरल रिजर्व की दरों में कटौती
इन वैश्विक घटनाकर्मों को देखते हुए, यूएस फेडरल रिजर्व ने जनवरी में अपनी ब्याज दर कटौती को रोक दिया था। अब मॉर्गन स्टेनली जैसी प्रमुख फ़र्मों ने अपने अनुमानों में संशोधन किया है और 2025 में केवल एक बार 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की संभावना जताई है।
इस फैसले का सीधा असर भारतीय शेयर बाज़ार पर भी पड़ा है क्यूँकी अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी से निवेशकों का झुकाव जोखिम भरे शेयरों में सुरक्षित संपत्तियों की ओर हो सकता है।
क्या यह निवेशकों के लिए अवसर है या नहीं?
इस भारी गिरावट के बीच, कुछ विशेषज्ञ इसे खरीदारी का मौका मान रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है की बाज़ार में अभी और गिरावट आ सकती है।
- ब्रोकरेज फर्म जेफ्रीज ने कोफ़ोर्ज के लिए 10,100 का ₹टारगेट प्राइस रखा है और इसे “बाय” रेटिंग दी है।
- वहीं, मॉर्गन स्टेनली ने कोल इंडिया के लिए ओवररेट रेटिंग दी है और ₹525 का टारगेट रखा है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है की निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और जल्दबाजी में कोई बड़ा निवेश करने से पहले बाज़ार की स्थिरता का इंतजार करना चाहिए।
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निष्कर्ष
वर्तमान में बाज़ार में भारी अनिश्चितता बनी हुई है, वैश्विक व्यापार तनाव, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती और फेडरल रिजर्व की नीतियों को देखते हुए, बाज़ार में और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। निवेशकों को सलाह दी जाती है की वे सतर्क रहें, लंबी अवधि की रणनीति अपनाएं और बाज़ार में स्थिरता आने तक छोटे निवेश करने पर ध्यान दें। इस प्रकार 28 फरवरी 2025 का यह भारी गिरावट वाला दिन भारतीय शेयर बाज़ार के लिए एक महवतपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां निवेशकों को अपने निवेश निर्णयों में अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
डिसक्लेमर
इस लेख से हमारा उद्देश्य केवल आपको शेयर बाज़ार में गिरावट की पूरी जानकारी देना है।