अमेरिकी शेयर बाज़ार इस हफ्ते सबसे खराब प्रदर्शन की ओर बढ़ रहा है, जिसमें मुख्य कारण व्हाइट हाउस की व्यापार नीतियों में लगातार बदलाव और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता है। शुक्रवार को ट्रेडिंग के शुरुआती घंटों में S&P 500 इंडेक्स में हल्की बढ़ट देखने को मिली, लेकिन विश्लेषण से यह पता चला है की इस हफ्ते अमेरिकी शेयर बाज़ार 3.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ सितंबर के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट की ओर बढ़ रहा है।
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हाल ही में बाज़ार में आए इस बदलाव की वजह से निवेशकों की चिंता बढ़ गई है, क्यूँकी वे आर्थिक मंदी की आशंका से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों से आयातित उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
उपभोक्ताओं के बीच भी इसे लेकर बेचैनी बढ़ रही है, जिसका असर विभिन्न आर्थिक सर्वेक्षणों में देखने को मिला है। हालांकि, शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में श्रम बाज़ार से जुड़े आँकड़ें राहत देने वाले थे। रिपोर्ट के अनुसार, नौकरियों की संख्या में वृद्धि की दर इतनी थी की इससे मुद्रास्फीति के बढ़ने की आशंका कम हुई, लेकिन यह अर्थव्यवस्था के कमजोर होने के संकेत भी नहीं दे रही थी। इससे निवेशकों को कुछ राहत मिली।
जनस हेंडरसन इन्वेस्टर्स की अमेरिकी पोर्टफोलियो निर्माण और रणनीति प्रमुख लारा कैसलटन का कहना है की ये आँकड़े शायद बाज़ार में फैली नकारात्मकता को कम करने में मदद करेंगे। निवेशक उम्मीद कर रहे थे की राष्ट्रपति ट्रम्प के टैरिफ लगाने की धमकियाँ केवल एक रणनीति मात्र होंगी, लेकिन मंगलवार को जब अमेरिका ने मैक्सिको और कनाडा से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया, तो उनकी उम्मीदें टूट गईं।
ब्रहस्पतिवार को कुछ उत्पादों पर टैरिफ घटाने की घोषणाएं हुईं, लेकिन इससे बाज़ार में कोई सकारात्मक रुझान नहीं आया। मॉर्गन स्टेनली इनवेस्टमेंट इंस्टीट्यूट के पोर्टफोलियो सोल्यूशन्स ग्रुप के मुख्य निवेश अधिकारी जिम कारन का कहना है की बाज़ार अब राष्ट्रपति ट्रम्प की टैरिफ नीतियों को पहले से अधिक गंभीरता से ले रहा है। हालांकि, हाल की बिकवाली के बावजूद, प्रमुख स्टॉक इंडेक्स अभी भी अपने उच्चतम स्तर के करीब बने हुए हैं और अर्थव्यवस्था भी अच्छी स्थिति में बनी हुई है।
इस गिरावट के पीछे मुख्य रूप से बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं, जिनका इंडेक्स पर भारी प्रभाव पड़ता है। 19 फरवरी को S&P 500 अपने उच्चतम स्तर पर था, लेकिन तब से इसमें 6.5 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है, जबकि वही इंडेक्स, जब सभी कंपनियों को समान वजन दिया जाता है तो 4.1 प्रतिशत ही गिरा है। यह स्पष्ट नहीं है की निवेशक टेक कंपनियों की संभावनाओं को लेकर सतर्क हो गए हैं या फिर उन्हें व्यापक आर्थिक परिस्थितियों को लेकर चिंता है।
जिम कारन का मानना है की पिछले कुछ हफ्तों से बाज़ार एक कठिन दौर से गुजर रहा है और आने वाले कुछ सप्ताह भी चुनौतीपूर्ण रह सकते हैं। जब तक यह स्थिति स्थिर नहीं होती, यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा की इस गिरावट का असली असर क्या होगा और बाज़ार को इससे उभरने में कितना समय लगेगा।