स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है? Scalping Trading in Hindi

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स्कैल्पर्स कौन हैं? स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है? स्कैल्पिंग कैसे काम करता है? और आपके ऐसे कई सवाल आज के इस लेख के साथ सुलझ जाएंगे। स्कैल्पिंग ट्रेडिंग एक ऐसी रणनीति है जो बाज़ार के छोटे-छोटे उतार चढ़ाव से मुनाफा कमाने पर केंद्रित है। यह ट्रेडिंग तेज गति अनुशासन और तकनीकी समझ की मांग करती है। स्कैल्पर्स अल्पकालिक समय सीमा में कई बार ट्रेड करते हैं जिससे छोटे मुनाफ़ों को जोड़कर बड़े फायदे में बदला जा सकता है। हालांकि इसमें जोखिम भी शामिल है और सही रणनीति, सतर्कता और अनुभव के बिना इसे सफलतापूर्वक अपनाना चुनौतिपूर्वक हो सकता है। इस लेख में हम विस्तार से सरल भाषा का उपयोग करके आपको स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है यह कैसे काम करती है और उससे जुड़ी सारी बातों की जानकारी देंगे।

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है

Table of Contents

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है? उदाहरण के साथ समझें:

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग एक ऐसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर बहुत छोटे समय के लिए किसी स्टॉक, करेंसी, या अन्य असेट को खरीदते और बेचते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य छोटी-छोटी कीमतों के बदलाव से तेजी से मुनाफा कमाना होता है। स्कैल्पिंग कैसे काम करता है इसका एक सरल जवाब है की इसमें ट्रेडर एक ही दिन में कई बार ट्रेड करते हैं और हर बार थोड़ा-थोड़ा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। इसमें सौदे कुछ ही मिनटों या सेकंडों में पूरे हो जाते हैं, इसीलिए इसे बड़ी तेज़ी से और सतर्कतापूर्वक करना पड़ता है।

स्कैल्पिंग में ट्रेडर को मार्केट के छोटे-छोटे उतार चढ़ाव पर नजर रखनी पड़ती है। जैसे ही कीमत थोड़ी बढ़ती है वे असेट बेच देते हैं। इसी तरह अगर कीमत थोड़ी गिरती है तो वे तुरंत असेट खरीद लेते हैं। इसमें मुनाफा हर बार छोटा होता है लेकिन इसकी खास बात ये है की पूरे दिन में कई बार ट्रेड करके इस मुनाफे को बड़ा बनाया जा सकता है।

चलिए स्कैल्पिंग ट्रेडिंग को एक उदाहरण से समझें:

मान लीजिए की आपने किसी कंपनी का स्टॉक 500 रुपए में खरीदा। कुछ ही मिनटों में उस कंपनी के स्टॉक की कीमत बढ़ के 501 रुपए हो गई और तब आपने तुरंत ये स्टॉक बेच दिया तो इससे आपको इस एक ट्रेड पर 1 रुपए का मुनाफा मिल जाता है। अब ये कीमत आपको बहुत छोटी लग रही होगी लेकिन सोचिए की आप पूरे दिन में ऐसे 50 ट्रेड लेते हैं और हर बार आपको 1-1 रुपए का मुनाफा होता है। ऐसे में आपका कुल मुनाफा एक दिन में 50 रुपए का होगा।

भले ही ये निश्चित नहीं है की आप हर दिन में 1 रुपए के 50 ट्रेड लेंगे और दिन के 50 रुपए कमाएंगे लेकिन तब भी अगर आप इसे एक काल्पनिक उदाहरण की तरह समझेंगे तो हर दिन 50 रुपए यानि पूरे महीने में 1500 रुपए का फायदा, वो भी बिना किसी नुकसान के।

नोट: यह उदाहरण केवल एक काल्पनिक उदाहरण है, ताकि आपको ये समझाया जा सके की स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है और स्कैल्पिंग कैसे काम करता है। इसकी कोई गारंटी नहीं है की दी गई कीमत का मुनाफा या नुकसान ही आपको होगा, कीमत बढ़ एंव घट भी सकती है।

ये तरीका उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो मार्केट को अच्छे से समझते हैं और जल्दी फैसले लेने में माहिर होते हैं। हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है की इस मेथड में कोई रिस्क नहीं है। बल्कि इसमें रिस्क भी काफी ज़्यादा है क्यूँकी फैसले लेने के दौरान गलतियाँ करना एक मानवीय प्रवृत्ति है। तो यदि आप इसे शुरू करने का सोच रहे हैं तो हमारी राय रहेगी की आप इसे पूरी एकाग्रता के साथ और सही तरीके के साथ करें।

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स्कैल्पर्स कौन हैं? एक स्कैल्पर को कैसा होना चाहिए?

स्कैल्पर्स वे ट्रेडर्स होते हैं तो स्कैल्पिंग ट्रेडिंग रणनीति को अपनाते हैं। ये ट्रेडर्स बाज़ार में होने वाले छोटे-छोटे उतार चढ़ाव पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इन्हीं से जल्दी मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं। स्कैल्पर्स का मुख्य उद्देश्य बहुत कम समय में सौदे करना और हर सौदे से थोड़ा-थोड़ा मुनाफा कमाना होता है।

स्कैल्पर्स को तेज गति से काम करना होता है क्यूँकी वे कीमतों के छोटे बदलावों का फायदा उठाते हैं। ये लोग दिनभर कई बार ट्रेड करते हैं और हर बार के मुनाफे को जोड़कर अपने दिन का कुल मुनाफा बढ़ाते हैं। इनके लिए बाज़ार की गहराई और समझ बेहद जरूरी होती है क्यूँकी इन्हें तुरंत फैसले लेने पड़ते हैं।

स्कैल्पर्स कौन हैं ये तो हमने देखा अब ये भी बताया दें की एक स्कैल्पर को बहुत अनुशासन और सतर्क होना पड़ता है, उन्हें मार्केट के ट्रेड को समझने के लिए तेज नजर रखनी पड़ती है। इसके अलावा स्कैल्पर्स के पास अच्छे उपकरण और तेज इंटरनेट कनेक्शन होना बहुत जरूरी है ताकि वे मार्केट के रियल टाइम डेटा को तुरंत एक्सेस कर सकें।

संक्षेप में स्कैल्पर्स वे लोग होते हैं जो बाज़ार के छोटे बदलावों को बड़े फायदे में बदलने की कला में माहिर होते हैं। यह काम आसान नहीं है और इसमें अनुभव और धैर्य की बड़ी जरूरत होती है। शुरुवाती लोगों को इसे समझने और अभ्यास करने के बाद ही पूरी तरह से अपनाना चाहिए।

स्कैल्पिंग कैसे काम करता है? Scalping Trading in Hindi

अब क्यूँकी आप जानते हैं की स्कैल्पर्स कौन होते हैं तो अब समय हैं ये समझने का कि आखिर ये स्कैल्पिंग ट्रेडिंग रणनीति कैसे काम करती है। आसान शब्दों में स्कैल्पिंग ट्रेडिंग एक अल्पकालिक ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें एक दिन में कई बार किसी असेट को खरीदने और बेचने का लक्ष्य होता है। इसका मकसद कीमतों के छोटे अंतर को बड़ा बनाने पर होता है।

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग की नीव यह है की आप ऐसे असेट्स पर ध्यान केंद्रित करें जो लिक्विडिटी में ज़्यादा हो। इसका मतलब है की बाज़ार में खरीदने और बेचने वालों की संख्या ज़्यादा हो जिससे ट्रेडिंग जल्दी और उचित कीमत पर हो सके। लिक्विड असेट्स के साथ ट्रेडिंग करना इसीलिए जरूरी है क्यूँकी अगर आप बाज़ार में समय पर असेट को बेच या खरीद नहीं पाए तो स्कैल्पिंग फायदेमंद नहीं हो सकती।

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग के 3 मुख्य सिद्धांत:

जोखिम कम करना: स्कैल्पर्स बाज़ार में बहुत कम समय तक रहते हैं। जिससे वे बड़े उतार चढ़ाव से बच जाते हैं। उनका उद्देश्य जोखिम को सीमित रखना और मुनाफे को तेजी से लेना होता है।

छोटे मूव पर ध्यान केंद्रित करना: स्कैल्पिंग में स्टॉक्स की कीमतों में छोटे बदलावों से मुनाफा कमाने पर ध्यान दिया जाता है। बड़ी कीमतों के बदलाव की तुलना में छोटे मूव पकड़ना आसान और अधिक नियमित होता है।

लगातार अवसर बनाना: जब बाज़ार स्थिर हो तब भी स्कैल्पर्स छोटे लाभ के अवसर ढूंढते हैं। यह पूरे दिन को सक्रीय और लाभकारी बनाए रखता है।

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स्कैल्पिंग कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे हो सकते हैं?

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग के कई फायदे हैं, जैसे:

  • पहला फायदा: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग में मुनाफा जल्दी होता है। इसमें ट्रेडर को लंबे समय तक बाज़ार में बने रहने की जरूरत नहीं होती क्यूँकी यह छोटे समय के लिए सौदे करने पर आधारित है। इसके चलते ट्रेडर को कम समय में अपनी रणनीति के अनुसार बार-बार मुनाफा कमाने का मौका मिलता है।
  • दूसरा फायदा: स्कैल्पिंग में बाज़ार के छोटे उतार चढ़ाव से भी फायदा उठाया जा सकता है। आपको बड़े ट्रेड का इंतजार करने की जरूरत नहीं होती बल्कि छोटी-छोटी कीमतों के बदलाव से ही लाभ कमाया जा सकता है।
  • तीसरा फायदा: इसमें बाज़ार की अंसरटेनीटि से जोखिम कुछ हद तक कम हो जाता है। क्यूँकी सौदे बहुत कम समय के लिए होते हैं, इसीलिए लंबे समय तक कीमतों के बड़े बदलाव का खतरा नहीं रहता।
  • चौथा फायदा: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग बाज़ार की तरलता यानि लिक्विडिटी का फायदा उठाने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है। जब बाज़ार में ज्यादा खरीददार और विक्रेता होते हैं तो स्कैल्पर्स के लिए तेजी से सौदे करना और मुनाफा कमाना आसान हो जाता है।
  • पाँचवा फायदा: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग ट्रेडर्स को दिनभर सक्रीय रखती है जिससे वे मार्केट के पैटर्न और हरकतों को बेहतर तरीके से समझने लगते हैं। यह अनुभव भविष्य में अन्य ट्रेडिंग रणनीतियों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।

स्कैल्पिंग कैसे काम करता है और इसके क्या नुकसान हैं?

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग के फायदे तो हमने देख लिए अब बारी हैं इनके नुकसान पे एक कड़ी नजर डालने की:

  • पहला नुकसान: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग में बहुत ज़्यादा ध्यान और सतर्कता की जरूरत होती है। ट्रेडर को लगातार बाज़ार पर नजर रखनी पड़ती है जिससे यह मानसिक रूप से थकाने वाला हो सकता है। थोड़ी सी भी चूक या ध्यान भटकने पर नुकसान हो सकता है।
  • दूसरा नुकसान: हर बार छोटे मुनाफे पर निर्भर रहने के कारण एक गलत निर्णय या बाज़ार का अचानक बदलना भारी नुकसान दे सकता है। अगर किसी एक ट्रेड में नुकसान होता है तो कई बार इसे पूरा करना मुश्किल हो जाता है।
  • तीसरा नुकसान: इसमें ट्रांजेक्शन की फीस और ब्रोकरेज शुल्क ज़्यादा हो सकता है। बार-बार सौदे करने के कारण ये शुल्क मुनाफे को कम कर सकते हैं। अगर फीस को ध्यान में नहीं रखा गया तो पूरे दिन मेहनत के बाद भी बहुत कम बचत हो सकती है।
  • चौथा नुकसान: इसमें तेज निर्णय लेने की बहुत जरूरत होती है जिससे कभी कभी ट्रेडर भावनाओं में आकार गलत फैसले कर बैठते हैं। डर या लालच के कारण गलत ट्रेड करना आम बात है जो नुकसान को और बढ़ा सकता है।
  • पाँचवा नुकसान: स्कैल्पिंग के लिए एक अच्छे सिस्टम और तेज इंटरनेट की जरूरत होती है। अगर सिस्टम धीमा है या इंटरनेट कनेक्शन टूट जाए तो ट्रेडर सही समय पर सौदा पूरा नहीं कर पता जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग की रणनीतियाँ: Scalping Trading in Hindi

1- सपोर्ट और रेसिस्टेंस का उपयोग: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेसिस्टेंस स्तरों की पहचान करना बेहद जरूरी होता है। सपोर्ट वह स्तर होता है जहां कीमत गिरना बंद करती है और बढ़ने लगती है। रेसिस्टेंस वह स्तर होता है जहां कीमत बढ़ना बंद करती है और गिरने लगती है। इन स्तरों के आसपास ट्रेड करना मुनाफा कमाने का अच्छा तरीका हो सकता है।

2- मूविंग एवरेज का सहारा लें: मूविंग एवरेज एक तकनीकी संकेतक है जो कीमत के औसत को दिखाता है। यह बाजार की दिशा को समझने में मदद करता है। उदाहरण के लिए जब कीमत मूविंग एवरेज से ऊपर हो तो यह खरीदारी का संकेत देता है और जब नीचे हो तो बेचने का।

3- वॉल्यूम एनालिसिस: स्कैल्पिंग में वॉल्यूम यानि बाज़ार में ट्रेड की मात्रा पर नजर रखना जरूरी होता है। जब किसी स्टॉक में ज्यादा वॉल्यूम हो तो कीमतों में उतार चढ़ाव तेज होता है। स्कैल्पर्स ऐसी स्थिति में तेजी से सौदे कर सकते हैं।

4- समय सीमा का चयन: स्कैल्पिंग में समय सीमा बहुत छोटी होती है जैसे 1-5 मिनट की कैन्डल चार्ट। इन छोटे छोटे समय अंतराल पर बाज़ार की हरकतों को समझना और तुरंत फैसले लेना रणनीति का हिस्सा है।

5- रिस्क और रिवार्ड का प्रबंधन: हर ट्रेड में यह तय करें की आप कितना जोखिम लेने को तैयार हैं और कितना मुनाफा कमाना चाहते हैं। स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस निश्चित करना बेहद जरूरी है ताकि नुकसान सीमित रहे और मुनाफा सुरक्षित किया जा सके।

6- तकनीकी संकेतकों का इस्तेमाल: स्कैल्पर्स RSI (Relative Strength Index), MACD (Moving Average Convergence Divergence) और Bollinger Bands जैसे तकनीकी संकेतकों का उपयोग कर सकते हैं। ये संकेतक बाज़ार की मौजूद स्थिति का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।

7- तेजी से निर्णय लेने की क्षमता: स्कैल्पिंग में ट्रेडिंग बहुत जल्दी होती है इसीलिए मार्केट मूवमेंट को देखते हुए तेज और सही फैसले लेना जरूरी है। इसके लिए बाज़ार का अनुभव और गहरी समझ होना जरूरी है।

8- अनुशासन और संयम: स्कैल्पिंग में सफलता का सबसे बड़ा नियम है अनुशासन बनाए रखना। लालच या डर से बचें और अपने पहले से तय कीये गए प्लान के अनुसार ही ट्रेड करें।

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स्कैल्पिंग कैसे काम करता है और इसकी विशेष टिप्स क्या हैं?

हमने अभी तक आपको विशेष रूप से बताया की आखिर स्कैल्पिंग कैसे काम करता है, लेकिन केवल उतना काफी नहीं है क्यूँकी स्कैल्पिंग को सफल बनाने के लिए कुह महत्वपूर्ण टिप्स को मानना भी जरूरी है, आइए देखें की क्या हैं वो टिप्स:

  • तेज और सटीक निर्णय लें
  • स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस तय करें
  • छोटे सौदे से शुरुवात करें
  • उच्च वॉल्यूम वाले स्टॉक्स का चुनाव करें
  • अनुशासन बनाए रखें
  • मार्केट के ट्रेड को समझें
  • ब्रोकरेज और फीस पर नजर रखें
  • तेज इंटरेंट और सही उपकरण का उपयोग करें
  • ओवरट्रेडिंग से बचें
  • अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें

डे-ट्रेडिंग बनाम स्कैल्पिंग ट्रेडिंग

अभी तक हमने विस्तार से देखा की स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है और स्कैल्पिंग कैसे काम करता है लेकिन मुद्दा ये है की कई बार लोग डे-ट्रेडिंग और स्कैल्पिंग ट्रेडिंग के बीच का अंतर समझने में नाकामयाब हो जाते हैं और दोनों को एक ही समझने लगते हैं बल्कि ऐसा नहीं है, आइए देखें की दोनों में क्या अंतर है:

स्तर डे-ट्रेडिंग स्कैल्पिंग ट्रेडिंग
समय सीमा इसमें कुछ घंटों से लेकर पूरे दिन तक की अवधि में ट्रेडिंग की जाती है। इसमें सौदे कुछ सेकंड या मिनटों में पूरे हो जाते हैं।
लक्ष्य मुनाफा मुनाफा अपेक्षाकृत बड़ा होता है।एक ट्रेड से छोटा मुनाफा कमाने का लक्ष्य होता है।
ट्रेड की संख्या एक दिन में 2 से 5 ट्रेड करना सामान्य होता है। एक दिन में 50 या 100 या उससे भी ज़्यादा ट्रेड कर सकते हैं।
जोखिम और तनाव मध्यम जोखिम ज़्यादा जोखिम
मार्केट विश्लेषण मौलिक और तकनीकी दोनों विश्लेषण जरूरी हैंतकनीकी विश्लेष और चार्टस का इस्तेमाल किया जाता है
अनुभव और कौशल अनुभव और धैर्य की जरूरत होती है अनुशासन और तेज निर्णय लेने की क्षमता जरूरी होती है
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है

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निष्कर्ष:

तो इस तरह हमने लेख में बहुत ही आसान भाषा में विस्तारपूर्वक समझाया की आखिर स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है, स्कैल्पर्स कौन हैं और स्कैल्पिंग ट्रेडिंग कैसे काम करता है। हमने इसके और भी कई अन्य पहलुओं पे नजर डाली और इस ट्रेडिंग को अच्छी तरह समझा और जाना। हमने लेख में सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले प्रश्नों का उल्लेख भी किया है, और Scalping Trading in Hindi को भी विस्तार से समझाया। यदि आपको तब भी लेख से जुड़ी कोई समस्या हो तो हमें ज़रूर बताएं।

सबसे ज़्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न:

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग में कितना जोखिम होता है?

इस तरह की ट्रेडिंग में जोखिम अधिक हो सकता है क्यूँकी इसमें बहुत तेजी से फैसले लेने पड़ते हैं।

स्कैल्पिंग ट्रेडिंग के लिए कौनसी तकनीकी उपकरण जरूरी हैं?

इसमें RSI, MACD और Bollinger Bands जैसे तकनीकी संकेतकों का उपयोग कर सकते हैं।

स्कैल्पिंग और डे-ट्रेडिंग में क्या-क्या अंतर हैं?

स्कैल्पिंग में सौदे कुछ सेकंड या मिनटों में पूरे होते हैं वहीं डे-ट्रेडिंग में ट्रेडर कुछ घंटों या पूरे दिन तक पोजीशन बना के रखते हैं।

स्कैल्पिंग में एक दिन के कितने ट्रेड ले सकते हैं?

एक दिन में 50 या 100 या उससे भी ज़्यादा ट्रेड कर सकते हैं।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अदिति है। मैं एक कंटेंट राइटर हूं। मुझे फाइनेंस जगत से जुड़े विषयों पर ब्लॉग लिखना काफी पसंद है। मेरा उद्देश्य यह है कि सही जानकारी को हिंदी में जल्द से जल्द उपलब्ध कराना है।

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