New Income Tax Bill 2025: आम आदमी को मिला सबसे बड़ा धोका?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतरामन द्वारा 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए केन्द्रीय बजट में New Income Tax Bill 2025 की घोषणा की गई थी। अब इस बिल का ड्राफ्ट सार्वजनिक कर दिया गया है, जो 622 पन्नों का है। खास बात यह है की इसमें कई अहम बदलाव किए गए हैं। यह नया टैक्स बिल 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना है और इसमें टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है। आइए जानते हैं की क्या हैं इस नए टैक्स बिल के प्रमुख बदलाव और उनके संभावित प्रभाव।

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टैक्स ईयर की नई परिभाषा

इस बिल में सबसे बड़ा बदलाव टैक्स ईयर की नई परिभाषा को लेकर हुआ है। अब तक इस्तेमाल किए जाने वाले “असेस्मेंट ईयर” शब्द को पूरी तरह से हटा दिया गया है। अब फाइनेंशियल ईयर के पूरे 12 महीने को ही टैक्स ईयर कहा जाएगा। जिससे करदाताओं के लिए टैक्स समझना और भरना ज़्यादा आसान होगा।

साथ ही, कर योग्य आय की परिभाषा को भी अधिक स्पष्ट कर दिया गया है। अब विदेशों से आय अर्जित करने वाले भारतीयों के लिए भी अलग टैक्स नियम लागू होंगे।

कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव

बाज़ार में पहले अटकलें थीं की सरकार कैपिटल गेन टैक्स की दरों या उसकी अवधि में बदलाव कर सकती है। लेकिन नए बिल के मुताबिक, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन की अवधि में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन की अवधि पहले की तरह 12 महीने ही बनी रहेगी और इस पर 20% टैक्स की दर लागू होगी। यह प्रावधान खासतौर पर शेयर बाजार और रियल एस्टेट निवेशकों को प्रभावित करेगा, क्यूंकी इन्हें पहले उम्मीद थी की इसमें कुछ राहत दी जा सकती है।

कर-मुक्त आय और नई छूट

सरकार ने कुछ खास सेक्टर और श्रेणियों के लिए कर-मुक्त आय का विस्तार किया है। इसके तहत:

  • राजनीतिक दलों और इलेकटोरल ट्रस्ट को टैक्स छूट मिलेगी।
  • कृषि से होने वाली आय को कुछ शर्तों के तहत पूरी तरह कर-मुक्त रखा जाएगा।
  • स्टार्टअप और लघु उद्योगों को टैक्स में विशेष छूट दी जाएगी।
  • धार्मिक और सामाजिक कल्याण ट्रस्ट को कर में रियायत दी गई है।

वेतनभोगी कर्मचारियों और ग्रहस्वामियों के लिए राहत

सरकार ने वेतनभोगी करदाताओं और ग्रहस्वामियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

  1. वेतनभोगियों को अब मानक कटौती (Standard Deduction) का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी कर योग्य आय कम होगी।
  2. ग्रहस्वामियों को किराए से प्राप्त आय पर कुछ अतिरिक्त कर कटौती मिलेगी, जिससे उनकी दर देनदारी घटेगी।

इन बदलावों से मध्यमवर्गीय करदाताओं को सीधा लाभ होगा और उनकी कर देनदारी भी कम हो सकती है।

टैक्स भुगतान में डिजिटल प्रणाली

सरकार टैक्स प्रणाली को अधिक डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए E-KYC और ऑनलाइन टैक्स भुगतान को अनिवार्य बना रही है।

  • अब ई-फाइलिंग (E-Filing) जरूरी होगी, जिससे टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आसानी होगी।
  • ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेशन सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे करदाता अपनी देनदारी की गिनती खुद कर सकेंगे।
  • GST और इनकम टैक्स को जोड़ने पर भी विचार किया जा रहा है, जिससे व्यापारियों को अधिक सुविधा मिलेगी।

टैक्स चोरी रोकने के लिए नियम

सरकार ने टैक्स चोरी को रोकने के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान जोड़े हैं:

  1. गलत जानकारी देकर टैक्स बचाने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
  2. जानबूझकर टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कानूनी कारवाई होगी।
  3. बकाया टैक्स न चुकाने पर अधिक ब्याज और पेनल्टी लगेगी।
  4. आय छिपाने पर कर अधिकारियों को अकाउंट सीज़ और संपत्ति जब्त करने का अधिकार होगा।

पेंशन और निवेश

नए बिल में पेंशन और निवेश से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण कर लाभ जोड़े गए हैं:

  • NPS और EPF में निवेश पर टैक्स छूट को बढ़ाया गया है।
  • बीमा योजनाओं और म्यूचुअल फंड निवेशकों को अतिरिक्त कर लाभ मिलेगा।
  • रिटायरमेंट फंड से निकासी पर टैक्स में राहत के प्रावधान शामिल किए गए हैं।

यह बिल करदाताओं के लिए कैसा रहेगा

New Income Tax Bill 2025 का मुख्य उद्देश्य टैक्स प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और करदाता-अनुकूल बनाना है। इसमें कई ऐसे बदलाव किए गए हैं जो टैक्स सिस्टम को आधुनिक और डिजिटल बनाने में मदद करेंगे। हालांकि, यहाँ एक बड़ी बात यह है की कैपिटल गेन टैक्स और टैक्स चोरी से जुड़े सख्त नियमों को लेकर निवेशकों और व्यवसायियों में कुछ चिंताऐं बनी हुई हैं। इस बिल को अभी संसद में पेश किया जाना बाकी है, और इसमें आगे संशोधन भी संभव हैं। ये ज़रूर है की अगर यह बिल अपने मौजूदा स्वरूप में लागू होता है, तो इससे वेतनभोगी करदाताओं, स्टार्टअप्स, छोटे उद्योगों और पेंशन धारकों को सीधा लाभ मिल सकता है। वहीं, शेयर बाज़ार और बड़े व्यवसायियों के लिए यह कुछ कड़े नियमों वाला हो सकता है।

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निष्कर्ष

यह बिल टैक्स प्रक्रिया को सरल और डिजिटल बनाने के लिए कई नए बदलाव लाने जा रहा है। इस लेख के हम ये समझ सकते हैं की इसका असर मध्यमवर्गीय करदाताओं, ग्रहस्वामियों और पेंशन धारकों के लिए सकारात्मक हो सकता है, लेकिन बड़े निवेशकों और बिजनेस मालिकों को कुछ नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अब फिलहाल सभी की निगाहें संसद पर टिकी हैं की क्या इस बिल में कोई और संशोधन होंगे या यह अपने मौजूदा स्वरूप में ही लागू होगा।

डिसक्लेमर

ध्यान रहे की यह लेख केवल और केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। इसीलिए आपके लिए जरूरी है की निवेश या कर संबंधी कोई भी निर्णय लेने से पहले वित्तीय विशेषज्ञ से प्रमार्श अवश्य लें।

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अदिति है। मैं एक कंटेंट राइटर हूं। मुझे फाइनेंस जगत से जुड़े विषयों पर ब्लॉग लिखना काफी पसंद है। मेरा उद्देश्य यह है कि सही जानकारी को हिंदी में जल्द से जल्द उपलब्ध कराना है।

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