बीते कुछ दिनों से भारतीय शेयर बाज़ार में लगातार गिरावट देखी जा रही है। बुधवार को भी सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान होता हुआ दिख रहा है। इस गिरावट के पीछे कई मुख्य कारण बताए जा रहे हैं, जैसे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए नए टैरिफ आदि। आइए लेख के माध्यम से समझें की आखिर इस स्थिति में अब निवेशकों को ऐसा कौनसा कदम लेना चाहिए जिससे वो इस आपदा को एक अफसर की तरह देखें।
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बड़ी कंपनियों के शेयर 52-वीक लो पर पहुंचे
बुधवार को सेंसेक्स 835.66 अंक गिरकर 75,457.94 हो गया, जबकि निफ्टी 252.85 अंक की गिरावट के साथ 22,818.95 पर आ गया है। बड़ी कंपनियों में Asian Paints, Bank of Baroda, Canara Bank, Coal India, DLF, Hero Motocorp, IOC, Jio Financial services, PNB, Reliance Industries और Tata Motors जैसी कंपनियों के शेयर अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुँच गए।
गिरावट के मुख्य कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, इस भारी गिरावट के पीछे मुख्य रूप से पाँच बड़े कारण हैं:
1. अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती टलने के संकेत
अमेरिका फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया है की महंगाई अभी भी उच्च स्तर पर है और ब्याज दरों में जल्द कटौती की संभावना कम है। इससे वैश्विक निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ गई है।
2. ट्रम्प टैरिफ और वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ गई है। इससे भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और उनके लाभ पर असर पड़ सकता है।
3. रुपए में गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली
भारतीय रुपए में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाज़ार से पैसे निकाल रहे हैं। इस साल अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने ₹88,000 करोड़ की विकवाली की है, जिससे बाज़ार में और अधिक दबाव बना है।
4. छोटे और मिडकैप शेयरों में भारी गिरावट
निफ्टी मिडकैप 100 और स्मॉलकैप 100 इंडेक्स में 3.5% की गिरावट देखी गई है। छोटे और मिडकैप शेयरों में निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ है और विशेषज्ञ अभी इनमें निवेश से बचने की सलाह दे रहे हैं।
4. यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया और वैश्विक अस्थिरता
यूरोपीय संघ ने ट्रम्प के टैरिफ फैसले के खिलाफ प्रतिशोधी टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है, जिससे वैश्विक शेयर बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है।
अब निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अब क्यूंकी हमें पता है की मार्केट कितना गिर गया है और उसके पीछे मुख्य कारण कौन-कौन से हैं, तो चलिए अब बात कर लेते हैं की ऐसी स्थिति में निवेशक ऐसा क्या करें जिससे वो इस गिरावट में भारी मुनाफा कमा सकें।
- सबसे पहले तो शेयर बाज़ार के इस कमजोर दौर में निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।
- विशेषज्ञों का कहना है की बाज़ार अभी ओवरसोल्ड स्थिति में है और यहाँ से थोड़ी रिकवरी संभव है, लेकिन बड़ी तेजी की संभावना फिलहाल कम है।
- निवेशकों को मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भारी निवेश से बचना चाहिए और फंडामेंटली मजबूत बड़े शेयरों की ओर रुख करना चाहिए।
- बाज़ार में FIIs की बिकवाली जारी रहने से कोई भी तेजी सीमित रह सकती है। ऐसे में लंबी अवधि के निवेशकों को धैर्य रखना होगा और बाजार की चाल को बारीकी से समझने की जरूरत होगी।
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निष्कर्ष
शेयर बाज़ार में मौजूदा गिरावट वैश्विक और घरेलू कारकों के मेल का नतीजा है। अमेरिकी नीतियों, फेडरल रिसर्व के रुख, विदेशी निवेशकों की गतिविधियों और भारतीय कंपनियों की तिमाही नतीजों का बाज़ार पर गहरा असर पड़ रहा है। फिलहाल बाज़ार में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन समझदारी से किए गए निवेश लंबे समय में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। निवेशकों को जल्दबाजी में फैसले लेने से बचना चाहिए और बाजार के अगले संकेतों पर ध्यान देना चाहिए।
डिसक्लेमर
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