इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें, इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है, और नजाने ऐसे कौन-कौन से सवाल एक बिगिनर के दिमाग में आते हैं जब वो इंट्राडे ट्रेडिंग या डे-ट्रेडिंग की शुरुवात करता है। इसीलिए आज हम Intraday Trading for beginners in Hindi लेकर आए हैं। लेख शुरू करने से पहले आपको ये बता दें की इंट्राडे ट्रेडिंग उन लोगों के लिए एक आकर्षक विकल्प है जो शेयर बाज़ार से तेजी से मुनाफा कमाना चाहते हैं। लेकिन यह समझदारी, अनुशासन और सही रणनीति के बिना जोखिम भरी हो सकती है। आज के इस लेख में आसान भाषा में विस्तार पूर्वक हम आपको समझाएंगे की आखिर इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है, इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे, इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान और अन्य कई चीजों पर प्रकाश डालेंगे।
Open Free Demat Account Todayइंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? उदाहरण के साथ:
इंट्राडे ट्रेडिंग का मतलब है की आप शेयर बाज़ार में एक ही दिन के अंदर शेयर खरीदते और बेचते हैं। इसमें आपका लक्ष्य लंबे समय तक इंतजार करने के बजाय उसी दिन मुनाफा कमाना होता है। इसे “डे ट्रेडिंग” भी कहते हैं। इसका एक खास नियम यह है की आप जो भी शेयर खरीदते हैं, उसे उसी दिन बेचना जरूरी है। अगर आप शेयर नहीं बेचते हैं तो आपका ब्रोकर इसे अपने आप बेच देगा, जिसे स्क्वायर ऑफ कहा जाता है। इस प्रक्रिया के लिए ब्रोकर कुछ अतिरिक्त शुल्क भी लेता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग उन लोगों के लिए है जो कम समय में मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसमें जोखिम भी बहुत होता है। अगर आपने गलत शेयर चुना या फिर सही समय पे उसे नहीं बेचा तो आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। मुनाफा कमाने के लिए जरूरी है की आप शेयर का सही तरीके से विश्लेषण करें और यह समझें की उसका दाम बढ़ने वाला है या गिरने वाला है। इसे करने के लिए टेक्निकल एनालिसिस करना बहुत ज़रूरी है जैसे चार्टस और पेटर्न को देखना वह समझना।
उदाहरण:
अगर हम इसे एक उदाहरण के साथ समझें तो, मान लीजिए सुबह सुबह आप किसी सब्ज़ी मंडी में जाते हैं। वहाँ आप आलू 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदते हैं। आपको पता है की शाम तक आलू की मांग बढ़ेगी और दाम 25 रुपए प्रति किलो तक पहुँच सकता है। इसीलिए अब आप 10 किलो आलू खरीद लेते हैं। दिन में जब दाम 25 रुपए हो जाता है तो आप आलू बेच देते हैं जिससे आपको 50 रुपए का मुनाफा हो गया। लेकिन अगर एक दिन के अंत में आलू का दाम 15 रुपए हो जाता है तो यहाँ आपको 50 रुपए का नुकसान झेलना पड़ सकता है। इस उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है की इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है और इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें।
Also read this: स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है? Scalping Trading in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें? Intraday Trading for beginners in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर बाज़ार के अंदर शेयर को एक ही दिन के भीतर खरीदना और बेचना होता है। इसमें आप शेयर को अगले दिन तक होल्ड नहीं कर सकते। इसका मुख्य उद्देश्य कम समय में प्राइस में हुए छोटे बदलाव से मुनाफा कमाना होता है।
इसकी प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:
- सुबह जब बाज़ार खुलता है तो आप उन शेयरों को चुनते हैं जिनकी कीमते दिन भर में बढ़ने की संभावना होती है। इसके लिए आप टेक्निकल एनालिसिस का इस्तेमाल करते हैं, जैसे: चार्ट और इन्डिकेटर्स। इन्हें देखकर आप अंदाजा लगाते हैं की शेयर की कीमत किस दिशा में जाएगी। जैसे ही आपको लगता है की किसी शेयर की कीमत बढ़ेगी तब आप उसे कम दाम पर खरीदते हैं और कीमत बढ़ते ही उसे बेच देते हैं, जिससे आपको मुनाफा होता है।
- इंट्राडे ट्रेडिंग में सही समय पर निर्णय लेना बहुत जरूरी है। बाज़ार की ट्रेंड सपोर्ट, रेसिस्टेंस लेवल और वॉल्यूम का ध्यान रखते हुए आपको अपनी रणनीति बनानी पड़ती है। हालांकि इसमें जोखिम भी अधिक होता है क्यूँकी बाज़ार की कीमतें तेज़ी से बदलती हैं।
- इसकी एक और खासियत ये है की कई बार ब्रोकर आपको मार्जिन देता है। इसका मतलब यह है की आप अपनी पूंजी से अधिक शेयर खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर आपके पास 10 हजार रुपए हैं और आपको 50% मार्जिन मिलता है तो आप 20 हजार रुपए तक के शेयर खरीद सकते हैं। इससे आपके मुनाफे की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन साथ ही नुकसान भी बढ़ सकता है।
- इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अनुशासन और सही योजना का होना बहुत जरूरी होता है। यदि आप बाज़ार को समझते हैं और सोच समझकर कदम उठाते हैं तो आप इस प्रक्रिया से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन बिना तयारी और अनुभव के इसमें नुकसान होने की संभावना अधिक रहती है।
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें: समय और शुल्क?
इंट्राडे ट्रेडिंग का समय:
- इंट्राडे ट्रेडिंग केवल उसी दिन के भीतर की जाती है और इसे बाज़ार के कामकाजी घंटों के दौरान पूरा करना होता है। भारत में शेयर बाज़ार का समय सामान्यतः सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे के बाद तक होता है। इस समय के दौरान आपको शेयर खरीदने और बेचने का काम पूरा करना होता है।
- सुबह का समय विशेष रूप से 10:00 बजे से 11:30 बजे, ट्रेडिंग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है क्यूँकी इस समय बाज़ार का ट्रेंड स्पष्ट होने लगता है। दिन के अंत के करीब, यानि 3:00 बजे के बाद बाज़ार में वॉलेटिलिटी बढ़ जाती है जिससे जोखिम अधिक हो सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में शुल्क:
- इंट्राडे ट्रेडिंग में कई तरह के शुल्क लगते हैं, जिनमें मुख्य रूप से ब्रोकरेज शुल्क, ट्रांजेक्शन शुल्क, GST (गूड्ज़ एण्ड सर्विस टैक्स), SEBI शुल्क, स्टेम्प ड्यूटी, और स्क्वायर ऑफ चार्ज शामिल हैं। ये शुल्क आपके हर लेन-देन पर शामिल होते हैं और आपके मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं। इसीलिए इन्हें ध्यान में रखकर ही आपको अपनी ट्रेडिंग की योजना बनानी चाहिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है और इसमें स्टॉक कैसे चुनें?
इंट्राडे ट्रेडिंग में सही स्टॉक का चुनाव करना बहुत जरूरी है क्यूँकी मुनाफा इस पर निर्भर करता है। सबसे पहले ऐसे स्टॉक्स को चुनें जिनमें लिक्विडिटी अच्छी हो यानि जिनमें बड़ी मात्रा में खरीद और बिक्री होती हो। हाई लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में एंट्री और एग्जिट आसानी से हो जाती है। इसके अलावा स्टॉक्स का टेक्निकल एनालिसिस करें और उनके चार्ट पर सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल को समझें।
स्टॉक्स का चयन करने के लिए आप उन कंपनियों को प्राथमिकता दें जो निफ्टी 50 या निफ्टी नेक्स्ट 50 जैसे इंडेक्स में शामिल हैं क्यूँकी इनमें वॉल्यूम ज्यादा होती है। शेयर का 10 या 15 मिनट का चार्ज देखें और उसी दिशा में ट्रेडिंग का निर्णय लें जिसमें उसका ट्रेंड जा रहा हो। साथ ही उन स्टॉक्स को देखें जिनमें उस दिन कई बड़ी खबर या इवेंट हुआ हो क्यूँकी ऐसी खबरों से स्टॉक्स में अधिक मूवमेंट होता है।
यह भी सुनिश्चित करें की जिन स्टॉक्स में आप ट्रेड कर रहे हैं उनके वॉल्यूम और प्राइस मूवमेंट अच्छे संकेत दे रहे हों। एंट्री और एग्जिट प्राइस पहले से तय कर लें ताकि आप लाइव मार्केट में जल्दी और सही निर्णय ले सकें। सही स्टॉक का चयन करने के लिए अनुशासन और लगातार परिश्रम करना बेहद जरूरी है।
Also read this: ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और कैसे करें? Option Trading in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग के संकेतक: Intraday Trading for beginners in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग के कई मुख्य संकेतक हैं, जैसे:
- मूविंग एवरेज (Moving Avarage): यह स्टॉक की औसत कीमत को दर्शाता है और यह समझने में मदद करता है की स्टॉक किस दिशा में जा रहा है। 20 दिन, 50 दिन, या 200 दिन की मूविंग एवरेज आमतौर पर इस्तेमाल की जाती है।
- रिलेटिव स्ट्रेनथ इंडेक्स (RSI): RSI यह बताता है की कोई स्टॉक ओवरबॉट (बहुत खरीदा गया) है, या ओवर्सोल्ड (बहुत बेचा गया) है। अगर RSI 70 से ऊपर है तो स्टॉक ओवरबॉट है और अगर यह 30 से नीचे है तो स्टॉक ओवर्सोल्ड है।
- बॉलिंगर बैंडस (Bollinger Bands): यह स्टॉक की वॉलेटिलिटी (उतार चढ़ाव) को दिखाता है। जब प्राइस बैंड के ऊपरी सीमा को छूता है तो यह ओवरबॉट की स्थिति हो सकती है और जब यह निचले बैंड को छूता है तो यह ओवर्सोल्ड की स्थिति को दर्शाता है।
- वॉल्यूम इन्डिकेटर (Volume Indicator): यह स्टॉक के लिए खरीदारी और बिक्री के दबाव को मापता है। उच्च वॉल्यूम बताता है की स्टॉक में अधिक सक्रीयता है और इसके मूवमेंट पर भरोसा किया जा सकता है।
- मैकडी (MACD): मूविंग एवरेज कनवरजेंस, डाईवरजेंस यह बताता है की स्टॉक का ट्रेंड किस दिशा में है? यह इन्डिकेटर तेज़ी (Bullish) और मंदी (Bearish) के संकेत देता है।
- सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल (Support and Resistance): ये स्तर यह दिखाता है की स्टॉक की कीमत कहाँ गिर सकती है (सपोर्ट) और कहाँ रुक सकती है या ऊपर जा सकती है (रेसिस्टेंस)।
इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे: Intraday Trading for beginners in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है और इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें यहाँ तक तो मुद्दा क्लियर है अब बारी है इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे समझने की। तो इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे कुछ इस प्रकार हैं:
- तेजी से मुनाफा: इंट्राडे ट्रेडिंग में दिनभर के छोटे-छोटे प्राइस मूवमेंट से मुनाफा कमाया जा सकता है। अगर आप सही समय पर खरीद और बिक्री करते हैं तो आप दिनभर में अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।
- ओवरनाइट जोखिम नहीं: इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको अपने शेयर दिन के अंत तक बेचने होते हैं। इसीलिए रातभर मार्केट में होने वाले किसी भी बदलाव या उतार चढ़ाव का असर आपके पोर्ट्फोलीओ पर नहीं पड़ता।
- मार्जिन का लाभ: ब्रोकर आपको मार्जिन की सुविधा देते हैं जिससे आप कम पैसे लगाकर ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं। इससे आपका संभावित मुनाफा बढ़ सकता है।
- कम पूंजी की आवश्यकता: लंबी अवधि के निवेश की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग में कम पूंजी से शुरुवात की जा सकती है। इसका कारण यह है की आपको मार्जिन मिलता है और शेयर डिलीवरी के लिए पूरी राशि नहीं चुकानी होती।
- लिक्विडिटी: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप अधिकतर लिक्विड स्टॉक्स के साथ काम करते हैं, जिनमें खरीददार और विक्रेता आसानी से मिल जाते हैं। इससे आप अपनी पोज़ीशन जल्दी एंट्री और एग्जिट कर सकते हैं।
- फ़्लेक्सीबिलिटी: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप दिन के दौरान कई बार खरीद और बिक्री कर सकते हैं, जिससे आपको अलग-अलग ट्रेडिंग अवसर मिलते हैं।
- टैक्स लाभ: इंट्राडे ट्रेडिंग पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है जो लंबी अवधि के टैक्स की तुलना में कम हो सकता है।
- मार्केट का ज्ञान: इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय आपको गातार बाज़र के ट्रेंड्स, खबरों और तकनीकी विश्लेषण से अपडेटेड रहना होता है। इससे आपमें बाज़ार की बेहतर समझ विकसित होती है।
Also read this: 5 Secrets To Master In Algo Trading In 2024
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान: Intraday Trading for beginners in Hindi
Intraday Trading for beginners in Hindi में हमने आपको कई अन्य चीजों के साथ इंट्राडे ट्रेडिंग के फ़ायदों की जानकारी दी, तो अब बारी है इसके नुकसान पर नजर डालने की, इंट्राडे ट्रेडिंग के कुछ नुकसान, जैसे :
- उच्च जोखिम: इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉक की कीमतें दिनभर तेजी से बदलती रहती हैं। गलत निर्णय लेने पर आपको बड़ा नुकसान हो सकता है खासकर जब आप बिना योजना के ट्रेडिंग करते हैं।
- भावनात्मक ट्रेडिंग: इंट्राडे ट्रेडिंग में डर और लालच जैसी भावनाओं का असर काफी ज़्यादा होता है। कई बार ट्रेडर्स ओवरट्रेडिंग या जल्दबाजी में गलत फैसले कर लेते हैं जिससे नुकसान हो सकता है।
- लगातार निगरानी की आवश्यकता: आपको दिनभर शेयर की कीमतों पर नजर रखनी पड़ती है। यह न केवल समय लेने वाला होता है बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ाता है।
- अत्यधिक ब्रोकरेज और शुल्क: बार बार खरीद और बिक्री करने पर ब्रोकरेज ट्रानज़ेकशन शुल्क और अन्य टैक्स बढ़ जाते हैं जो आपके मुनाफे को कम कर सकते हैं।
- मार्जिन के कारण बड़ा नुकसान: मार्जिन की सुविधा से आप कम पैसे में ज्यादा खरीद कर सकते हैं लेकिन यह दोधारी तलवार की तरह है। अगर शेयर की कीमत आपकी उम्मीद के विपरीत चली जाए तो नुकसान बढ़ भी जाता है।
- विशेषज्ञता की कमी: इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता के लिए तकनीकी ज्ञान और अनुभव बहुत जरूरी है। बिना सही एनालिसिस और स्ट्रेटेजी के ट्रेडिंग करने पर नुकसान तय है।
- उच्च प्रतिस्पर्धा: इंट्राडे ट्रेडिंग में आप प्रोफेशनल ट्रेडर्स और एआई एल्गोरिथ्म के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। उनके पास ज्यादा संसाधन और अनुभव होने के कारण या प्रतिस्पर्धा कठिन हो सकती है।
- मार्केट अंसरटेनिटि: शेयर बाज़ार में अप्रत्याशित घटनाएं जैसे किसी कंपनी से जुड़ी बुरी खबर या ग्लोबल इवेंट्स अचानक कीमतों को गिरा सकते हैं जिससे नुकसान हो सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग की रणनीतियाँ: Intraday Trading for beginners in Hindi
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान और फ़ायदों के साथ आइए देखें की इसकी रणनीतियाँ कैसी दिखती हैं:
ट्रेंड फॉलोइंग रणनीति (Trend Following Strategy): इस रणनीति में आप बाजार के मौजूद ट्रेंड को फॉलो करते हैं। यदि स्टॉक ऊपर की ओर बढ़ रहा है तो आप उसे खरीदते हैं और जब वह नीचे जाने लगे तो उसे बेच देते हैं। यह रणनीति सरल है और सबसे अधिक उपयोग की जाती है।
ब्रेकआउट रणनीति (Breakout Strategy): इस रणनीति में आप उस समय ट्रेड करते हैं जब स्टॉक सपोर्ट या रेसिस्टेंस लेवल को पार करता है। यदि प्राइस रेसिस्टेंस लेवल को तोड़ता है तो आप खरीदारी करते हैं और अगर प्राइस सपोर्ट लेवल से नीचे गिरता है तो आप बेचते हैं।
स्कैल्पिंग रणनीति (Scalping Strategy): यह छोटी अवधि की रणनीति है जिसमें छोटे-छोटे प्राइस मूवमेंट से मुनाफा कमाया जाता है। इसमें कई बार खरीद-बिक्री की जाती है जिससे कुल मिलाकर मुनाफा अधिक हो सकता है।
न्यूज आधारित रणनीति (News-Based Strategy): किसी कंपनी या बाज़ार से जुड़ी खबरें स्टॉक्स की कीमतों को तेजी से प्रभावित करती हैं। इस रणनीति से आप उन स्टॉक्स का चयन करते हैं जिन पर खबरों का सीधा असर पड़ रहा हो और उसी के अनुसार खरीद या बिक्री करते हैं।
रेंज ट्रेडिंग रणनीति (Range Trading Strategy): यह रणनीति तब उपयोगी होती है जब बाज़ार स्थिर रहता है। इसमें आप स्टॉक के सपोर्ट लेवल पर खरीदते हैं और रेसिस्टेंस लेवल पर बेचते हैं।
मूविंग एवरेज का उपयोग: मूविंग एवरेज जैसे तकनीकी संकेतकों का उपयोग करके आप स्टॉक के ट्रेंड को समझ सकते हैं। यदि प्राइस मूविंग एवरेज से ऊपर है तो खरीदारी करें और अगर यह नीचे है तो बिक्री करें।
Also read this: SBI Mutual Fund SIP: ₹2500 रुपए का निवेश दे सकता है इतने सालों में पूरे ₹25 लाख का फायदा!
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें इसकी महत्वपूर्ण Tips
हमने इस लेख के अंत तक आते आते इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़ी कुछ विशेष टिप्स आपके लिए संजो के रखीं हैं जिनसे आपको निकट भविष्य में फायदा मिल सकता है, आइए देखें की क्या हैं ये:
- हमेशा स्टॉप लॉस सेट करें ताकि नुकसान को नियंत्रित किया जा सके।
- अपनी ट्रेडिंग योजना का सख्ती से पालन करें और भावनाओं में बहकर फैसले ना लें।
- उच्च वॉल्यूम और लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स पर ध्यान दें।
- मार्केट में होने वाले अचानक बदलाव (वॉलेटिलिटी) का विश्लेषण करें।
- केवल उन रणनीतियों को अपनाएँ जिन्हें आप अच्छी तरह समझते हैं और जिनमें आप सहज महसूस करते हैं।
निष्कर्ष:
इंट्राडे ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस सही समय पर निर्णय और लगातार अभ्यास से आप इसमें सफलता पा सकते हैं। ध्यान रखें की इसमें धैर्य और सीखने की इच्छा ही आपको एक सफल ट्रेडर बना सकती है। आपको Intraday Trading for beginners in Hindi के इस लेख में हमने हर छोटी छोटी चीज़ की जानकारी दी जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है, इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें, इंट्राडे ट्रेडिंग के फायदे, इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान इत्यादि। आशा है की आपको ये लेख पसंद आया होगा।
सबसे अधिक पूछे जाने वाले सवाल:
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कौनसे टूलज और इन्डिकेटर्स का प्रयोग करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आप इन इन्डिकेटर्स का प्रयोग कर सकते हैं: मूविंग एवरेज (Moving Avarage), रिलेटिव स्ट्रेनथ इंडेक्स (RSI),
बॉलिंगर बैंडस (Bollinger Bands),वॉल्यूम इन्डिकेटर (Volume Indicator),
मैकडी (MACD), सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल (Support and Resistance)।
इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस की क्या भूमिका है?
इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस एक प्राइस लेवल तय करने का तरीका है, जो नुकसान को सीमित करने के लिए इस्तेमाल होता है। यह ट्रेडर्स को अप्रत्याशित बाजार उतार चढ़ाव से बचाने में मदद करता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडिंग प्लान कैसे बनाएं?
इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडिंग प्लान बनाने के लिए अपने लक्ष्य, रिस्क टॉलरेंस और रणनीतियों को पहले से तय करें। टेक्निकल एनालिसिस और मार्केट ट्रेंड के आधार पर एंट्री और एग्जिट पॉइंट निर्धारित करें।
इंट्राडे ट्रेडिंग में रिस्क मेनेजमेंट क्या होता है?
इंट्राडे ट्रेडिंग में रिस्क मैनिज्मन्ट का मतलब है नुकसान को नियंत्रित करने के लिए स्टॉप लॉस सेट करना, सही कैपिटल एलोकेशन करना और ओवरट्रेडिंग से बचना। यह ट्रेडिंग में लंबे समय तक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
7 thoughts on “इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? Intraday Trading for beginners in Hindi”