हाल ही में, निफ्टी 50 ने सितंबर 2024 में अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर 26,277.35 रुपए से लगभग 14% की गिरावट का सामना किया है। कमजोर कमाई, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा पूंजी निकासी और वैश्विक व्यापार तनावों के कारण बाज़ार पर दबाव बना हुआ है। इन कारकों को देखते हुए प्राभुदास लिल्लाधेर ने निफ्टी का 12-महीने का लक्ष्य घटाकर 25,686 रुपए निर्धारित किया है। आइए देखते हैं की इस अवस्था में निवेशक कैसे सबसे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं और इस स्थिति को अपने लिए सबसे बेहतर बना सकते हैं।
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कमजोर कमाई और विदेशी निकासी का प्रभाव
निफ्टी में पिछली जनवरी से लगभग 4.8% की गिरावट देखी गई है। मंद उपभोक्ता मांग, कमजोर हो रही भारतीय मुद्रा और यूएस में राष्ट्रपति ट्रम्प के पुनः चयन से उत्पन्न भू-राजनीतिक अनिश्चितताएँ बाज़ार के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं। व्यापार घाटे में वृद्धि, जो 250 बिलियन डॉलर से अधिक होने की संभावना जताई जा रही है, और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) में गिरावट ने भारतीय मुद्रा पर अतिरिक्त दबाव डाला है।
तिमाही परिणाम और EPS प्रोजेक्शन
कई कंपनियों की कमाई में निराशाजनक प्रदर्शन के कारण प्राभुदास लिल्लाधेर ने निफ्टी के लिए EPS (आय प्रति शेयर) के विकास के अनुमान में क्रमश: FY25, FY26 और FY27 के लिए 0.8%, 2% और 2.6% की कटौती की है। इस अवधि में उन निफ्टी स्टॉक्स की संख्या में भी वृद्धि हुई है जिनकी EPS प्रोजेक्शन को डाउनग्रेड किया गया है जो फरवरी 2024 में 21 से बढ़ाकर इस तिमाही में 30 तक पहुँच गई है।
संभावित सुधार के संकेत
हालांकि निकट अवधि में बाज़ार में अस्थिरता बनी रहने की संभावना है, प्राभुदास लिल्लाधेर का मानना है की मुद्रास्फीति में कमी, कर कटौतियों और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा संभावित ब्याज दर में कमी से बाज़ार में धीरे-धीरे सुधार देखा जा सकता है। इसके अलावा, बढ़ते सरकारी पूंजीगत व्यय और धार्मिक पर्यटन में वृद्धि से घरेलू मांग में सुधार की उम्मीद है।
दीर्घकालिक विकास के अवसर
दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, पूंजीगत वस्त्र, अवसंरचना रक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में विकास के अवसर मौजूद हैं।
- प्राभुदास लिल्लाधेर के शीर्ष बड़े पूंजी स्टॉक में: ABB India, Bharat Electronics, ICICI Bank और Maruti Suzuki शामिल हैं।
- जबकि माध्यम और छोटे आकार के स्टॉकस में Max Healthcare Institue, Astral Ltd. और Kaynes Technology India प्रमुख हैं।
विदेशी निवेश और भारतीय मुद्रा
वर्ष की शरुवात से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजारों से कुल $8.2 बिलियन की निकासी की है, जो उभरते एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बड़ी निकासी है। इसके साथ ही, शुद्ध FDI प्रवाह 17 वर्षों के निम्नतम स्तर पर पहुँच गया है, जिससे मौजूदा खाता घाटे का वित्तपोषित करने की चुनौती बढ़ गई है। इन सब कारणों से, प्राभुदास लिल्लाधेर ने उम्मीद जताई है की भारतीय मुद्रा और भी कमजोर हो सकती है, और USD/INR विनियम दर FY25 के अंत तक 88.50 तक पहुँच सकती है।
मूल्यांकन और लक्ष्य निर्धारण
प्राभुदास लिल्लाधेर का आधार मूल्यांकन FY26 के लिए 18 गुना फॉरवर्ड आय पर आधारित है। उनके बेस केस के अनुसार निफ्टी का लक्ष्य 25,689 रुपए है जबकि कुल बेस में यह 27,041 रुपए तक पहुँच सकता है। वहीं, यदि मौजूदा मैक्रोइकोनॉमिक दबाव और विदेशी निकासी और भी तेज होती है तो बेर केस में निफ्टी का लक्ष्य 24,337 रुपए तक गिर सकता है।
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निष्कर्ष
निफ्टी 50 में कमजोर कमाई, विदेशी निवेशकों द्वारा निकासी और वैश्विक व्यापार तनावों के कारण महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिली है। हालांकि, अपेक्षित मुद्रास्फीति में कमी, कर राहत और सभावित ब्याज दर में कटौती के साथ, बाज़ार में धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है। निवेशकों के लिए यह आवश्यक है की वे मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक निवेश रणनीतियों पर विचार करें और संभावित जोखिमों का मूकयांकन करें।
डिसक्लेमर
इस लेख से हमारा उद्देश्य केवल आपको निफ्टी 50 से जुड़ी पूरी जानकारी पहुंचाना है, इसमें निवेश करना न करना पूरी तरह से आपकी जिम्मेदारी है।