किसी से भी ये बात छुपी नहीं है की भारतीय शेयर बाज़ार में हर दूसरे दिन किस प्रकार से भारी गिरावटों का आना जाना चला हुआ है। अगर बात करें इसके मुख्य कारण की तो इस गिरावट का सबसे बड़ा और मजबूत कारण रहा है भारत के कॉर्पोरेट सेक्टर की कमजोर तिमाही (Q3) आय रिपोर्ट। यह रिपोर्ट निवेशकों के लिए निराशाजनक रही है और इसने लगातार बाज़ार में नकारात्मक धारणा को मजबूत किया हुआ है। ऐसा कहा जा रहा है की इस प्रकार की खराब तिमाही रिपोर्ट 5 साल में पहली बार आई है, आइए इसमें निवेश कैसे अपना फायदा निकाल सकते हैं ये समझें।
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कॉर्पोरेट सेक्टर की सबसे कमजोर तिमाही
Motilal Oswal की एक रिपोर्ट के अनुसार FY21 की पहली तिमाही के बाद FY25 की तीसरी तिमाही (Q3) अब तक की सबसे कमजोर रही है। निफ्टी की लाभ वृद्धि (PAT) लगातार तीसरी तिमाही में केवल 5% बढ़ी, जिससे यह स्पष्ट होता है की कॉर्पोरेट सेक्टर की ग्रोथ मंद हो रही है।
भारी मंदी के सबसे फायदेमंद सेक्टर
रिपोर्ट के अनुसार, इस तिमाही के प्रदर्शन को मुख्य रूप से बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) सेक्टर ने बचाया है, जिसमें 11% की सलाना वृद्धि देखी गई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का प्रदर्शन और भी बेहतर रहा, जहां 24% की वृद्धि दर्ज की गई।
टेक्नोलॉजी, टेलिकॉम, हेल्थकेयर, कैपिटल गुड्स और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों ने भी सकारात्मक योगदान दिया। विशेष रूप से रियल एस्टेट सेक्टर ने 60% की वृद्धि के साथ अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि टेलिकॉम सेक्टर में ₹900 करोड़ का लाभ हुआ, जो पिछले साल ₹3500 करोड़ के घाटे में था।
सबसे अधिक गिरावट वाले सेक्टर
कई प्रमुख सेक्टरों को इस गिरावट के समय में काफी तगड़ा झटका लगा है। जैसे तेल और गैस उद्योग की आय 11% घाटी, जिसमें तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को 18% का नुकसान हुआ। सीमेंट सेक्टर की स्थिति और भी खराब रही, जहां आय में 55% की गिरावट आई। रसायन उद्योग में 12% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि उपभोक्ता वस्तु (FMCG) क्षेत्र में 5% की गिरावट देखी गई। इन क्षेत्रों में आय में गिरावट का मुख्य कारण बढ़ती लागत, कमजोर मांग और अंतरराष्ट्रिय बाजारों में अस्थिरता बताया जा रहा है।
FY26 के लिए संभावनाएं
रिपोर्ट में FY26 के लिए भी मंदी की आशंका जताई गई है। वर्तमान में कॉर्पोरेट सेक्टर की आय वृद्धि के अनुमान 19% हैं, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार इन अनुमानों में और भी अधिक गिरावट हो सकती है। बैंकिंग सेक्टर, जो पिछले पाँच वर्षों (FY19-FY24) में 55% की वृद्धि दर से बढ़ रहा था, अब धीमा पड़ रहा है। FY25 में इस क्षेत्र की ग्रोथ दर 14% रहने की संभावना है, जबकि FY26 में यह और घटकर 9% रह सकती है।
निवेशकों के लिए राय
वेलथमिल्स सिक्युरिटीज़ के इकुईटी रणनीतिकार क्रांति बथिनी के अनुसार, इस तिमाही के कमजोर नतीजों ने बाज़ार को झटका दिया है। उन्होंने कहा की बाज़ार पहले से ही ऊंची उम्मीदों पर चल रहा था, लेकिन जब वास्तविक नतीजे अपेक्षा से कमजोर निकले तो निवेशकों की चिंता बढ़ गई। शेयर बाज़ार में भारी उतार-चढ़ाव और कमजोर कॉर्पोरेट आय रिपोर्ट के चलते निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है की बाज़ार में लंबे समय तक अस्थिरता बनी रह सकती है और आने वाले महीनों में और भी कंपनियां अपने अनुमानित लाभ को संशोधित कर सकती हैं।
भविष्य की परिस्थिति
यदि कॉर्पोरेट सेक्टर में सुधार नहीं होता है तो FY26 में भी मंदी का दौर जारी रह सकता है। बैंकिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर फिलहाल सबसे मजबूत स्थिति में हैं, लेकिन अन्य उद्योगों की गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है। आने वाले दिनों में निवेशकों की निगाहें वैश्विक बाजारों, अमेरिकी नीतियों और भारतीय कंपनियों की आगामी तिमाही रिपोर्ट पर टिकी रहेंगी। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो शेयर बाज़ार में और गिरावट देखी जा सकती है।
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निष्कर्ष
तो इस तरह हमने देखा की 5 साल में पहली बार भारतीय शेयर बाज़ार का ये हाल हुआ है जहां कॉर्पोरेट सेक्टर में इतनी बड़ी त्राहि देखी गई है। लेकिन क्यूँकी हर चीज़ का एक सकारात्मक और एक नकारात्मक पहलू होते हैं, इसीलिए भले ही इस समयावधि में तेल और गैस उद्योग, सीमेंट सेक्टर और रसायन उद्योग ने नकारात्मक परिणाम दिए हैं, लेकिन बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा, टेक्नोलॉजी, टेलिकॉम, हेल्थकेयर, कैपिटल गुड्स और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों ने सकारात्मक परिणाम भी दिए हैं।
डिसक्लेमर
इस लेख से हमारा मकसद केवल आपको हाल ही में चल रहे कॉर्पोरेट संकट से बचने की रणनीतियाँ बताने पर है।