टाटा संस, देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह ने अपनी परंपरागत वित्तीय रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। TATA Sons ends debt support से समूह ने अपनी कंपनियों, विशेषकर नई कंपनियों, जैसे: टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और एयर इंडिया को निर्देश दिया है, की वे अपने कर्ज और देनदारियों का स्वतंत्र रूप से प्रबंधन करें। इसका साफ सीधा अर्थ है की अब समूह क्रॉस डिफ़ॉल्ट क्लोज और लेटर ऑफ कम्फर्ट जैसी परम्पराएं देना बंद कर रहा है। आइए लेख के जरिए देखें की आखिर इससे पूरे टाटा ग्रुप पर क्या असर पड़ सकता है?
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टाटा संस ने स्पष्ट किया है की भविष्य में नए उपक्रमों के लिए पूंजी इक्विटी, निवेश और आंतरिक स्तोत्रों (जैसे मुनाफा) से ही जुटाई जाएगी। इसके अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (TCS), जो समूह की सबसे बड़ी लाभकारी कंपनी है, उससे मिलने वाले डिविडेन्ड और वित्तीय समर्थन को नए व्यवसायों की फंडिंग का मुख्य आधार बनाया जाएगा।
मार्च 2024 तक, टाटा संस ने 20,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज चुकाकर खुद को शुद्ध नकदी वाली कंपनी में बदल लिया है। समूह ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के साथ अपनी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) की श्रेणी से बाहर निकलने के लिए स्वेच्छा से आवेदन किया।
Impact of the new strategy
यह नीति विशेष रूप से उन कंपनियों के लिए लागू होगी जो हाल ही में स्थापित हुई हैं, और जो अब तक टाटा संस के वित्तीय समर्थन पर निर्भर थीं। हालांकि, समूह की पुरानी कंपनियां जैसे टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा पावर पहले से ही अपने कर्ज का प्रबंधन स्वयं करती आ रहीं हैं, इसीलिए इस नीति से उन्हें कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
इस नई रणनीति का उद्देश्य समूह की कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाना और प्रत्येक व्यवसाय को अपने वित्तीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए सक्षम बनाना है। टाटा संस का मानना है की यह बदलाव समूह की दीर्घकालिक स्थिरता और लाभप्रदता को सुनिश्चित करेगा।
TATA Sons ends debt support: Reaction of Banks
बैंकों को समूह की सहायक कंपनियों की वित्तीय स्थिरता और उनमें टाटा संस की बड़ी इक्विटी हिस्सेदारी के कारण कोई जोखिम नहीं लगता। टाटा समूह की कंपनियों में बैंकों का विश्वास इस बात पर आधारित है की समूह की भुगतान करने की मंशा और भुगतान करने की क्षमता दोनों स्पष्ट हैं।
सितंबर 2022 में, रिज़र्व बैंक ने टाटा संस को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- अपर लेयर (NBFC-UL) के रूप में वर्गीकृत किया था। इस वर्गीकरण के तहत, ऐसी कंपनियों को तीन साल के भीतर लिस्ट होना पड़ता है। हालांकि, टाटा संस ने अपनी कोर इनवेस्टमेंट कंपनी (CIC) स्टेटस को त्यागने के लिए आवेदन कर दिया है, ताकि यह सावर्जनिक लिस्टिंग से बच सके और निजी कंपनी के रूप में काम जारी रख सके।
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Conclusion:
टाटा संस का यह कदम भारतीय कॉर्पोरेट जगत में एक नया उदाहरण पेश करता है, जहां समूह कंपनियों को वित्तीय स्वतंत्रता देकर उनके विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह रणनीति न केवल समूह की वित्तीय संरचना को मजबूत करेगी, बल्कि टाटा समूह को एक आधुनिक और लचीला औद्योगिक घराने के रूप में भी स्थापित करेगी। इस लेख से हमने देखा की TATA Sons ends debt support से पूरे टाटा ग्रुप पर क्या असर पड़ रहा है साथ ही हमने पूरे आँकलं के साथ Tata sons latest news को समझा।
Disclaimer:
ध्यान रहे इस पोस्ट के ज़रिए हमारा उद्देश्य केवल आपको TATA Sons ends debt support में करी गई Tata sons latest news से जुड़ी सारी की जानकारी देना है। क्यूंकी हम कोई सेबि अप्रूव्ड पंजीकृत वेबसाईट नहीं हैं इसीलिए इस लेख में दी गई हमारी जानकारी को आप किस तरह प्रयोग में लाते हैं वो बिल्कुल आपके उप्पर है क्यूँकी अंत में अपने निवेश के आप खुद पूरी तरह से ज़िम्मेदार होंगे।